हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कल लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा। वे 1984 में भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। राजस्थान के भरतपुर से उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता और 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें राज्यमंत्री बना दिया। 1989 में वे उप्र की मथुरा सीट से चुनाव हार गए लेकिन राज्यमंत्री बने रहे। 1991 में नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो एनडी तिवारी, अर्जुन सिंह और नटवर सिंह ने पार्टी से बगावत कर दी। बाद में 1998 में सोनिया गांधी की वापसी के साथ ही वे कांग्रेस में लौट आए। 1998 में उन्होंने फिर चुनाव जीता।
तेल के बदले भोजन मामले में घिरे
2004 में कांग्रेस सरकार की वापसी के साथ ही उन्हें विदेश मंत्री के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी दी गई। अक्टूबर 2005 में जब वे विदेश यात्रा पर थे, तभी पॉल वोल्कर की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने इराक में तेल के बदले भोजन मामले में भ्रष्टाचार की रिपोर्ट जारी की उनके पुत्र जगत सिंह को लाभार्थी बताया। इसके बाद उन्होंन कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा के मंच पर गए, बसपा में शामिल हुए
नटवर सिंह ने जाट समुदाय की भाजपा प्रायोजित रैली में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा की घोषणा की। नटवर सिंह ने अपनी बेगुनाही का दावा किया और सोनिया गांधी पर बचाव करने में विफल रहने का आरोप लगाया। हालांकि नटवर सिंह भाजपा में शामिल नहीं हुए। वे 2008 में अपने बेटे जगत सिंह के साथ बसपा में शामिल हुए, लेकिन चार महीने बाद पार्टी ने उन्हें निकाल दिया।
किताब से मचा था बवाल
अगस्त 2014 में नटवर सिंह की आत्मकथा वन लाइफ इज नॉट इनफ प्रकाशित हुई थी। किताब में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के शासन के दौरान के घटनाक्रमों को उजागर करने का दावा किया गया है। इसमें राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ नटवर सिंह के बदलते रिश्ते को बताया गया था। किताब में नटवर सिंह ने वोल्कर रिपोर्ट और उनके इस्तीफे से पहले की पृष्ठभूमि पर विस्तार से अपनी बात कही। वहीं कांग्रेस ने नटवर सिंह के आरोपों को खारिज कर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए इस तरह की सनसनी फैलाने का आरोप लगाया था।