अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी-भरकम टैरिफ से चीन बेहद घबराया हुआ है। ऐसे में अब उसे भारत की याद आई है। चीन ने टैरिफ का विरोध कर ने भारत से दोस्ती की गुहार लगाई है। ड्रेगन ने मुश्किल हालात पर काबू पाने के लिए भारत से साथ खड़े होने का भी आग्रह किया है। चीन की ये गुहार तब आई है, जब अमेरिका ने उसके ऊपर टैरिफ को बढ़ाकर 104 प्रतिशत करने का ऐलान किया है। इसके पहले ट्रंप के 34 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव कई दिनों से जारी रहा था। ट्रंप के जवाब में चीन ने भी पलटवार किया और अमेरिका पर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया। इससे ट्रंप भडक़ गए और कहा कि अगर चीन अपनी जवाबी कार्रवाई की योजना को वापस नहीं लेता है तो वह 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे।
आज से लागू हो रहा टैरिफ
वॉइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने बताया कि चीन के खिलाफ 50 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ बुधवार से लागू होने जा रहा है। इसके साथ ही चीन पर अमेरिका का कुल टैरिफ 104 प्रतिशत हो जाएगा। भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने अमेरिकी कदम की आलोचना करते हुए कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली पर आधारित है जो स्थिर विकास सुनिश्चित करती है और देश के आर्थिक वैश्वीकरण और बहुपक्षवाद की एक मजबूत समर्थक है, जो औसतन वैश्विक विकास में 30 प्रतिशत का योगदान देती है।
साथ खड़े होने का किया आग्रह
यू जिंग ने कहा कि चीन-भारत आर्थिक और व्यापारिक संबंध पूरकता और पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं। टैरिफ के अमेरिकी दुरुपयोग का सामना करते हुए दो सबसे बड़े विकासशील देशों को कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ को वैश्विक दक्षिण देशों को उनके विकास के अधिकार से दूर करने वाला बताया। यू ने कहा कि सभी देशों को व्यापक परामर्श के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिए, सच्चे बहुपक्षवाद का अभ्यास करना चाहिए। सभी प्रकार के एकतरफावाद और संरक्षणवाद का संयुक्त रूप से विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रेड वॉर और टैरिफ युद्धों में कोई विजेता नहीं होता है।