चीन के तियानजिन शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत और चीन के संबंधों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने दोनों देशों को “पूर्व की दो प्राचीन सभ्यताएँ” और “दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश” बताया।
ग्लोबल साउथ में भारत-चीन की भूमिका
शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं और उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे अपने लोगों की भलाई को बेहतर बनाएं। उन्होंने विकासशील देशों की एकजुटता और प्रगति को बढ़ावा देने की बात पर भी जोर दिया।
ड्रैगन और हाथी साथ आएं
शी जिनपिंग ने दोनों देशों के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि “दोनों देशों के लिए यह सही विकल्प है कि वे ऐसे मित्र बनें जिनके अच्छे पड़ोसी और सौहार्दपूर्ण संबंध हों, ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों, और ड्रैगन और हाथी एक साथ आएँ।” यह बयान दोनों देशों के बीच सहयोग और मित्रता को बढ़ावा देने के चीन के इरादे को दर्शाता है। माना जा रहा है कि यह बयान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चिढ़ाने के लिए दिया गया है, जिन्होंने चीन और भारत दोनों पर व्यापार, टैरिफ को लेकर दबाव बनाया था। जिनपिंग का यह बयान दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की चीन की इच्छा को दर्शाता है।
संबंधों को लेकर चीन की प्रतिबद्धता
जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम हो रहा है, जिससे दोनों पक्षों को संबंधों को मजबूत करने का मौका मिला है।