कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा के संस्थापक सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी की विरासत का बचाव करते हुए एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जैसे जवाहरलाल नेहरू को सिर्फ चीन युद्ध की हार से नहीं आंका जा सकता, या इंदिरा गांधी को केवल आपातकाल से नहीं, उसी तरह आडवाणी के लंबे सार्वजनिक जीवन को भी उनकी रथ यात्रा जैसी किसी एक घटना तक सीमित कर देना अनुचित होगा।
- थरूर ने यह टिप्पणी 8 नवंबर को आडवाणी के 98वें जन्मदिन के अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर की।
- : थरूर ने आडवाणी को ‘एक सच्चे राजनेता’ बताते हुए उनके लोकसेवा के प्रति समर्पण, विनम्रता और ईमानदारी की सराहना की।
- विरासत का बचाव: आडवाणी की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट के एक वकील संजय हेगड़े की आलोचना का जवाब देते हुए थरूर ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लंबे करियर को एक घटना से परिभाषित करना इतिहास के साथ अन्याय होगा।
- तुलनात्मक दृष्टिकोण: उन्होंने तर्क दिया कि जिस तरह नेहरू के पूरे करियर को चीन की हार या इंदिरा गांधी के करियर को आपातकाल से नहीं आंका जा सकता, उसी तरह का न्यायपूर्ण दृष्टिकोण आडवाणी के प्रति भी अपनाना चाहिए।
थरूर के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि उन्होंने अपनी ही पार्टी के दो प्रधानमंत्रियों के साथ विपक्षी नेता की तुलना करते हुए उनकी विरासत को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की अपील की है।


