अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी व्यापार नीतियों को और भी सख्त करने की योजना बना रहे हैं। इस बार, उनका निशाना एक ऐसी चीज है जो हर व्यक्ति के लिए जरूरी है – दवाएं। ट्रंप प्रशासन दवाओं पर भारी टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है, जिससे वैश्विक दवा बाजार में हलचल मच गई है।
एपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप कुछ दवाओं पर 200% तक का टैक्स लगाने की बात कर रहे हैं। वे ऑटो और स्टील जैसे उत्पादों पर लागू की गई टैरिफ नीति को अब दवाओं पर भी लागू करना चाहते हैं। ट्रंप अपने इस कदम को सही ठहराने के लिए साल 1962 के ‘ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट’ के सेक्शन 232 का हवाला दे रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान दवाओं की कमी और जमाखोरी देखने को मिली थी, इसलिए अब घरेलू उत्पादन बढ़ाना बहुत जरूरी है। यह दशकों से चली आ रही उस नीति के खिलाफ होगा, जिसमें कई दवाएं बिना टैक्स के अमेरिका में आयात की जाती थीं।
अगर यह नीति लागू होती है तो इसका असर सिर्फ विदेशों पर ही नहीं, बल्कि खुद अमेरिका और भारत जैसे देशों पर भी होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत पर इसका सीधा असर दिखाई दे सकता है, क्योंकि इससे दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं और आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी दिक्कतें आ सकती हैं, जिससे दवाओं की कमी होने का खतरा भी है। वहीं, अमेरिका में, इसका सबसे ज्यादा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ING के Diederik Stadig के अनुसार, लोगों को फार्मेसी में दवा खरीदते समय सीधे तौर पर और बीमा प्रीमियम के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से भी महंगाई का सामना करना पड़ेगा। हाल ही में अमेरिका और यूरोप के बीच हुए एक व्यापार समझौते में भी कुछ यूरोपीय दवाओं पर 15% टैक्स लगाया गया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन दूसरे देशों की दवाओं पर और भी ज्यादा टैक्स लगाने की धमकी दे रहा है।