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    जाने का किराया रखे हो? सीएम ने पूछा तो दंग रह गए ग्रामीण आदिवासी

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भले ही उच्च पद पर पहुंच गए हैं, लेकिन उनकी जड़ें अब भी जमीन से जुड़ी हुई हैं। यही वजह है कि वे बड़ी ही सहजता से लोगों से मिलते हैं और उन्हें अपना बना लेते हैं। लोगों के दुख दर्द को समझने का भाव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के अंदर है, जो उनसे मिलने वालों के दिलों को छू जाता है। इसी की बानगी तब दिखाई दी, जब मुख्यमंत्री साय ने जशपुर के दूरस्थ ग्राम बटईकेला से आए कोरवा आदिवासियों के उन भावों को भी समझ लिया जो संकोचवश वे व्यक्त करने से कतरा रहे थे। मुख्यमंत्री ने पहुना पहुंचे कोरवा आदिवासियों से बड़ी आत्मीयता से पूछा- जाने का किराया रखे हो ? फिर अपनी जेब से रुपए निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया। सीएम ने यह भी कहा कि आज रात यहीं रुको, कल खाना खाकर ही जाना। सीएम के इन बातों से आदिवासी भावविभोर हो गए।
    रात में ही मिलने पहुंचे सीएम
    सीएम देर रात बस्तर और राजिम के दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि तीन कोरवा आदिवासी ग्रामीण उनसे मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। रात्रि के करीब सवा बारह बज गए थे। ये जानकर कि जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक के कोरवा आदिवासी लंबी दूरी का सफर कर उनसे मिलने आये हैं, मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने कक्ष में बुलवाया। नंगे पांव आए कोरवा के बिशुन राम, बालकिशुन राम और अजीर साय मुख्यमंत्री के कक्ष में दाखिल हुए। मुख्यमंत्री ने बड़े ध्यान से उनकी समस्या को सुना और हर संभव मदद के लिए आश्वस्त किया।
    ग्रामीणों को नहीं थी कल्पना
    सीएम ने जिस तरह का आत्मीय व्यवहार किया, उसका अंदाजा सपने में ग्रामीणों को नहीं था। मुख्यमंत्री ाय ने सबसे पहले उनसे पूछा- खाना खाए हो ? जब उन्होंने बताया कि पहुना में ही उन्हें भोजन कराया गया है तो मुख्यमंत्री ने पूछा कि रायपुर कब आए और किस रूट से आए हो? उन्होंने बताया कि वे बटईकेला से रायगढ़ बस से आए और रायगढ़ से ट्रेन के जनरल बोगी का टिकट लेकर रायपुर आए हैं। मुख्यमंत्री ने बड़ी ही आत्मीयता से उनसे पूछा कि जाने का किराया रखे हो ? इस प्रश्न के जवाब में ग्रामीण चुप रहे। मगर मुख्यमंत्री साय ने इस खामोशी के पीछे के उन भावों को पढ़ लिया जिसे वे व्यक्त करने से कतरा रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपनी जेब से रुपए निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया और कहा कि आज रात आप यहीं रुको और कल खाना खाकर ही जाना। मुख्यमंत्री साय की इस सहृदयता ने इन कोरवा आदिवसियों के दिल को छू लिया।
    पुराने साथी को पहचान कर कहा-अब तैं बुढ़ा गए हस
    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बहुत साल बाद मिल रहे पुराने साथी अजीर साय को पहचान लिया। मुख्यमंत्री ने उन्हें याद दिलाया कि मैं तोर साथ भोपाल गए रहेन। अजीर साय ने बताया कि वे कोरवा आदिवासियों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से कई साल पहले तब मिले थे, जब वे विधायक थे। उस समय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय उन्हें अपने साथ लेकर भोपाल लेकर गए थे और तत्कालीन सरकार के मंत्रियों से उन्हें मिलवा कर कोरवा आदिवासियों की बात रखी थी। मुख्यमंत्री ने अजीर साय से स्नेहभाव में कहा कि अब तैं बुढ़ा गए हस। इस बात को सुनकर सभी खिलखिला उठे। मुख्यमंत्री साय ने आदिवासी युवाओं के जज़्बे और योग्यता की सराहना की और उनका हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना दी।

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