भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दीपावली (Diwali) को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की प्रतिष्ठित सूची में शामिल कर लिया गया है। इस घोषणा को देश के लिए एक बड़ी सांस्कृतिक उपलब्धि माना जा रहा है।
पीएम मोदी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खबर पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे ‘भारतीय सभ्यता की आत्मा’ बताया। उन्होंने कहा, “दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया जाना हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। यह केवल एक त्योहार नहीं है, यह ‘भारतीय सभ्यता की आत्मा’ है जो प्रेम, प्रकाश और भाईचारे का संदेश देती है। यह सम्मान दुनिया भर में हमारी संस्कृति के महत्व को दर्शाता है।”
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इस मान्यता से यह सुनिश्चित होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस महान विरासत के मूल्यों को समझेंगी और उन्हें आगे बढ़ाएंगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहें।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल होने का महत्व
यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में किसी परंपरा या उत्सव को शामिल करने का अर्थ है उसे वैश्विक स्तर पर मान्यता और संरक्षण प्रदान करना।
- भारत की 16वीं धरोहर: दीपावली इस सूची में शामिल होने वाली भारत की 16वीं अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर है। इससे पहले इस सूची में योग, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला और दुर्गा पूजा जैसी परंपराएं शामिल हो चुकी हैं।
- दीपावली का संदेश: दीपावली को अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार समृद्धि, नए संकल्पों और पारिवारिक एकता का प्रतिनिधित्व करता है। प्रभु श्री राम के आदर्श हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहें।
- संरक्षण: इस सूची में शामिल होने के बाद यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और जागरूकता बढ़ाकर इस त्योहार के सांस्कृतिक तत्वों के संरक्षण को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- यह मान्यता दुनिया भर में फैले भारतीय समुदाय के लिए भी गौरव का विषय है, जो इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।


