दुनियाभर में आज जिन म्युजिस कंसर्ट्स की बात हो रही है उनमे पंजाब के दोसांझ गाँव के एक लड़के का नाम छाया हुआ है और ये नाम किसी और का नहीं बल्कि सबका दिल जीतने वाले दिलजीत दोसांझ का है। पंजाबी संगीत और फिल्म उद्योग में दिलजीत दोसांझ का नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाले इस गायक और अभिनेता ने अपनी मेहनत और लगन से न केवल पंजाब बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। आइए जानते हैं उनके संगीत सफर की प्रेरणादायक कहानी।
दोसांझ गाँव से शुरू हुआ सफर
दिलजीत ने नए साल में जब पीएम मोदी से मुलाकात की तो पीएम ने खुद कहा कि हिंदुस्तान के एक छोटे से गाँव का लड़का जब दुनियाभर में भारत का नाम रौशन करता है तो गर्व होता है। दिलजीत की कहानी इसी दोसांझ गाँव से शुरू हुई थी। दिलजीत दोसांझ का जन्म 6 जनवरी 1984 को पंजाब के जिला जालंधर के दोसांझ कलां गांव में हुआ। उनके पिता बलबीर सिंह एक सरकारी कर्मचारी थे और मां सुखविंदर कौर एक गृहिणी। दिलजीत का झुकाव बचपन से ही संगीत की ओर था। वे गुरुद्वारे में कीर्तन किया करते थे, जहां उनकी गायकी की शुरुआत हुई।
संघर्ष का दौर
दिलजीत ने संगीत की औपचारिक शिक्षा लेने के बाद अपनी आवाज़ को और निखारने का प्रयास किया। उनका शुरुआती सफर आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके जुनून और मेहनत ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी। उन्होंने छोटे-छोटे कार्यक्रमों में गाना शुरू किया और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी शुरू की।
पहला एल्बम और सफलता की शुरुआत
दिलजीत का पहला एल्बम “इश्क दा उड़ा आड़ा” 2004 में रिलीज़ हुआ। इस एल्बम ने उन्हें पंजाबी संगीत जगत में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने कई हिट गाने दिए, जैसे कि “डोला डोला,” “नचदी फिरा” और “पंजाबियन दी शान।” धीरे-धीरे उनके गानों ने हर दिल को छू लिया और वे पंजाब के हर कोने में मशहूर हो गए।
बॉलीवुड में कदम
दिलजीत दोसांझ ने अपने गायकी करियर के साथ-साथ अभिनय में भी हाथ आजमाया। उन्होंने पंजाबी फिल्मों में कई सुपरहिट फिल्में दीं और फिर बॉलीवुड का रुख किया। 2016 में उन्होंने बॉलीवुड फिल्म “उड़ता पंजाब” से डेब्यू किया। इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब सराहा गया और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
दिलजीत की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। उनके गाने अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी धूम मचा रहे हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में परफॉर्म किया और दुनिया भर में अपने प्रशंसकों का दिल जीता।
संगीत की खासियत
दिलजीत दोसांझ की गायकी की खासियत उनकी अनोखी आवाज़ और भावपूर्ण प्रस्तुतियां हैं। उनके गानों में पंजाबी संस्कृति और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है। उनके गाने जैसे “लवर,” “दो यू नो,” और “गोलियां” आज भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
समाज सेवा और सराहनीय कार्य
दिलजीत दोसांझ अपनी समाज सेवा के लिए भी जाने जाते हैं। वे जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। किसान आंदोलन के दौरान दिलजीत ने किसानों के समर्थन में खुलकर अपनी राय रखी और उनकी मदद की।
दिलजीत दोसांझ की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि हमारे पास सपनों को पूरा करने का जुनून और मेहनत करने का जज़्बा हो, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। एक छोटे से गांव से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर तय करने वाले दिलजीत आज युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका संगीत सफर आज भी जारी है और वे अपनी आवाज़ से लोगों का मनोरंजन और प्रेरित करते रहेंगे।