छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है। भिलाई में आयोजित हनुमंत कथा के दौरान शुरू हुआ यह विवाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस विवाद के मुख्य बिंदु और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का पलटवार नीचे विस्तार से दिया गया है:
विवाद की शुरुआत: ‘देश छोड़ दें’ वाला बयान
विवाद तब शुरू हुआ जब धीरेंद्र शास्त्री ने एक बयान में कहा कि जो लोग हिंदू समाज को जोड़ने या हनुमान भक्ति को ‘अंधविश्वास’ मानते हैं, उन्हें देश छोड़ देना चाहिए। यह टिप्पणी सीधे तौर पर भूपेश बघेल के उस पुराने बयान के संदर्भ में देखी गई जिसमें उन्होंने कथावाचकों पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था।
भूपेश बघेल का तीखा पलटवार
धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ा ऐतराज जताते हुए उन्हें “बीजेपी का एजेंट” करार दिया। बघेल के आरोपों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- राजनीतिक एजेंट का आरोप: बघेल ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री धार्मिक आयोजनों की आड़ में भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।
- पैसे बटोरने का आरोप: पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि शास्त्री छत्तीसगढ़ के लोगों की आस्था का फायदा उठाकर केवल “पैसे बटोरने” आते हैं।
- अनुभव पर सवाल: बघेल ने कहा, “जब धीरेंद्र शास्त्री पैदा भी नहीं हुए थे, तब से मैं हनुमान चालीसा पढ़ रहा हूं। वह कल का बच्चा है और हमें सनातन धर्म सिखाने चला है।”
- शास्त्रार्थ की चुनौती: उन्होंने शास्त्री को चुनौती दी कि वे छत्तीसगढ़ के किसी भी विद्वान संत या महात्मा के साथ शास्त्रार्थ (Debate) करके दिखाएं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का जवाब
भूपेश बघेल के इन बयानों पर छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बघेल के शब्दों को “सनातन धर्म का अपमान” बताया।
- सनातन का अपमान: सीएम साय ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री जैसे संतों को ‘एजेंट’ कहना पूरे बागेश्वर धाम और सनातन परंपरा का अपमान है।
- जनता करेगी न्याय: मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत हमेशा से ऋषि-मुनियों का देश रहा है और उनके प्रति इस तरह की अभद्र टिप्पणी का जवाब प्रदेश की जनता आने वाले समय में देगी।
- धर्मांतरण पर समर्थन: भाजपा नेताओं ने शास्त्री के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने धर्मांतरण को “कैंसर से भी खतरनाक” बताया था।
यह पूरा मामला अब ‘आस्था बनाम राजनीति’ की लड़ाई बन चुका है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे भाजपा की चुनावी रणनीति बता रही है, वहीं सत्ताधारी भाजपा इसे हिंदू आस्था और संतों के सम्मान से जोड़कर देख रही है।


