लोकसभा में चल रही चुनाव सुधारों पर बहस के दौरान, विपक्षी सांसदों ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) की निष्पक्षता और मतदाता सूची के पुनरीक्षण (SIR) की कानूनी वैधता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बहस में भाग लेते हुए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “…यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां कई सदस्यों को भारत के चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने पड़ रहे हैं।”
उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “देश के कई राज्यों में SIR चल रहा है, लेकिन भारतीय चुनाव आयोग के पास SIR कराने का कोई कानूनी औचित्य नहीं है। तिवारी ने सरकार से मांग की है कि वह अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में SIR करने के कारण लिखकर संसद में पेश करे।
सांसद चंद्रशेखर आज़ाद का गंभीर आरोप
आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने चुनाव आयोग पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए उसे “हिटलर आयोग” करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कमजोर वर्गों और महिलाओं के लिए वोट बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन बहुत बड़े पैमाने पर वोट काटे गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के मरने की बात सामने आई है, वे ज्यादातर SC, ST और OBC वर्ग से थे।
- उन्होंने कहा कि चर्चा लगातार दो दिनों तक चलेगी और वे अपनी बात रखेंगे। उन्होंने सरकार से इन मामलों का संज्ञान लेने की अपील की है। विपक्षी सांसदों का यह रुख चुनाव सुधारों की बहस को गर्माहट दे रहा है और सरकार पर SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ा रहा है।


