लोकसभा चुनाव के बाद संविधान के पॉकेट एडिशन की मांग बढ़ गई है। विपक्ष के नेताओं के हाथ में यह संविधान का एडिशन नजर आ रहा है। ईस्टर्न बुक कंपनी, लखनऊ के सेल्स हेड सुधीर कुमार ने बताया कि यह संविधान का कोट-पॉकेट एडिशन है। यह जज या ऐडवोकेट की जेब में आ जाती है। इसलिए इसका नाम कोट-पॉकेट एडिशन रखा गया है। 2009 में इसे पहली बार प्रकाशित किया गया था। इसमें बाइबिल पेपर का इस्तेमाल किया गया है जो बहुत पतला होता है।
संविधान के पॉकेट एडिशन की बढ़ी मांग.. यह हैं इसकी खासियतें
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