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    दिल्ली ब्लास्ट: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक डॉक्टर रडार पर

    दिल्ली में 10 नवंबर 2025 को लाल किले के पास हुए कार बम धमाके की जांच अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर केंद्रित हो गई है। जांच एजेंसियों के रडार पर इस यूनिवर्सिटी से जुड़े 200 से अधिक डॉक्टर और स्टाफ आ गए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि धमाके के मुख्य आरोपी, फिदायीन हमलावर डॉ. उमर उन-नबी का ताल्लुक इसी संस्थान से था, और धमाके के दिन कई लोग एकाएक फरार हो गए थे।


    यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक लोग क्यों रडार पर?

    जांच एजेंसियों को संदेह है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी को आतंकी गतिविधियों के लिए ‘सुरक्षित ठिकाने’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। रडार पर आए लोगों से जुड़े मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

    • अचानक गायब होना: सूत्रों के अनुसार, धमाके वाले दिन और उसके तुरंत बाद यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर और स्टाफ अचानक छुट्टी लेकर या बिना सूचना के परिसर छोड़कर चले गए। एजेंसियां उनकी पहचान और गायब होने के पीछे के कारणों का पता लगा रही हैं।
    • मोबाइल डेटा डिलीट: कई लोगों ने अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप का डेटा डिलीट कर दिया है, जिससे यह संदेह गहरा गया है कि वे किसी संदिग्ध गतिविधि को छिपाने की कोशिश कर रहे थे।
    • टेरर मॉड्यूल से संबंध: जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं इन 200 लोगों में से किसी का सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध गिरफ्तार किए गए आतंकी डॉक्टरों के मॉड्यूल से तो नहीं है।

    डॉ. उमर को लेकर चौंकाने वाले खुलासे

    मामले के मास्टरमाइंड डॉ. उमर उन-नबी के बारे में नए खुलासे लगातार सामने आ रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हैं:

    जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी परिसर में एक अस्थायी कमांड सेंटर भी स्थापित किया है और अब तक 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।

    • ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’: पूछताछ में पता चला है कि डॉ. उमर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ‘खास सहूलियत’ (Special Treatment) मिलती थी। वह सिर्फ शाम या रात की शिफ्ट में काम करता था और क्लास न के बराबर लेता था, जो अन्य कर्मचारियों को भी अजीब लगता था।
    • छह महीने गायब: बताया गया है कि डॉ. उमर 2023 में बिना किसी सूचना के करीब छह महीने तक यूनिवर्सिटी और अस्पताल से गायब रहा, लेकिन वापस आने पर सीधे ड्यूटी पर लौट आया और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
    • बम बनाने की लैब: जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. उमर ने फरीदाबाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास अपने घर पर एक सीक्रेट लैब बनाई थी, जहाँ वह पाकिस्तानी हैंडलर्स से मिले निर्देशों और DIY वीडियो के आधार पर आईईडी (IED) बनाता था।
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