संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष का बर्ताव आक्रामक होने की वजह से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने फटकार लगाई। उन्होंने चेतावनी दी कि विपक्ष के ऐसे बर्ताव की वजह से उन्हें निर्णायक कार्रवाई करनी पड़ सकती है। सदन में विपक्ष प्रश्नकाल के दौरान हंगामा कर रहा था। विपक्ष के नेता एसआईआर और अन्य मुद्दों पर वेल तक पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। ओम बिरला ने विपक्ष को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा कि लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब संसद में विपक्षी सदस्यों द्वारा लगातार हंगामा, नारेबाजी और सरकारी दस्तावेजों को फाड़ने जैसी घटनाएं देखी जा रही हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी चेतावनी में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर
- लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन: उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध का अधिकार होता है, लेकिन इसकी एक मर्यादा भी होती है। सदन में विरोध जताने के लिए नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित हैं, जिनका पालन करना सभी सदस्यों का कर्तव्य है।
- सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य: बिरला ने साफ किया कि संसद भवन, जो कि एक राष्ट्रीय संपत्ति है, को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाना राष्ट्र के प्रति एक अनादर है। उन्होंने कहा कि “किसी को भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है।”
- सख्त कार्रवाई का संकेत: उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में अगर कोई भी सदस्य ऐसा करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ निलंबन जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र में यह स्वीकार्य नहीं है और ऐसा करने वालों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी पड़ेगी।”
विपक्ष पर क्यों भड़के ओम बिरला?
यह चेतावनी लोकसभा में पिछले कुछ सत्रों में हुए घटनाक्रमों का परिणाम है। विपक्ष, खासकर ‘इंडिया’ गठबंधन, लगातार विभिन्न मुद्दों पर सरकार का विरोध कर रहा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई बार सांसद अपनी सीट से उठकर अध्यक्ष के आसन के पास आ जाते हैं, नारेबाजी करते हैं, और कभी-कभी सरकारी दस्तावेजों या रिपोर्टों की प्रतियां फाड़ देते हैं। इस तरह के आचरण को संसद की गरिमा के खिलाफ माना जाता है।
- सदन की कार्यवाही में बाधा: विपक्षी सांसदों के इस तरह के व्यवहार से सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा आ रही है। महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा नहीं हो पाती है और सदन का कीमती समय बर्बाद होता है।
- संसद की गरिमा पर सवाल: लोकसभा अध्यक्ष का मानना है कि इस तरह का व्यवहार संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने पहले भी कई बार सदस्यों से सदन की मर्यादा बनाए रखने की अपील की है, लेकिन उनके अनुरोधों का अक्सर उल्लंघन होता रहा है।


