पीओके यानि कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई बहस छेड़ दी है। पीओके को लेकर लंदन में जयशंकर ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान तभी होगा, जब पाकिस्तान उसके कब्जे वाले हिस्से पीओके को लौटाएगा। पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि कश्मीर मुद्दे का समाधान कैसे होगा। इस पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साफ कर दिया कि कश्मीर के चुराए गए हिस्से को वापस लेकर ही इस समस्या का समाधान होगा। हमने कश्मीर के अधिकांश मामलों को सुलझा लिया है। अनुच्छेद 370 हटाना पहला कदम था। अब वहां शांति और विकास हो रहाहै। चुनाव उसका महत्वपूर्ण चरण था। अब इंतजार कश्मीर के चुराए गए हिस्से की वापसी का है। इसी के साथ ही कश्मीर का समाधान हो जाएगा।
ऐसे हुआ था पीओके का निर्माण
- पीओके का निर्माण 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हुआ था। दरअसल 1947 में भारत का विभाजन हुआ और भारत और पाकिस्तान नाम के दो नए देश बन गए। तत्कालीन रियासतों को यह विकल्प दिया गया कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में विलय कर सकते हैं या स्वतंत्र रह सकते हैं।
- जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहने का फैसला किया। इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य सहायता मांगी और विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की।
- 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने युद्धविराम लागू करवा दिया। इस तरह जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर दिया गया। एक भाग भारत के नियंत्रण में रहा, जिसे जम्मू और कश्मीर कहा जाता है और दूसरा भाग पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया, जिसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) कहा जाता है।
- पाकिस्तान ने अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र को आजाद जम्मू और कश्मीर नाम दे दिया। पीओके को दो भागों में विभाजित किया गया है जिसमें आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान का हिस्सा है।
- भारत का मानना है कि पीओके जम्मू और कश्मीर का अभिन्न अंग है, जो भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान का दावा है कि पीओके विवादित क्षेत्र है और वहां के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है। यह विवाद आज भी जारी है और भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण है।


