अफगानिस्तान में क्रिकेट काफी पसंद किया जाता है। तालिबान भी अपनी टीम की हौसला अफजाई करता है। लेकिन अब उसी तालिबान ने अफगानिस्तान में शतरंज खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है, और इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। तालिबान का मानना है कि शतरंज समय की बर्बादी है और यह लोगों को अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्यों से विचलित करता है। तालिबान के एक प्रवक्ता ने इस प्रतिबंध की पुष्टि करते हुए कहा कि शतरंज खेलने में इतना समय लगता है कि लोग नमाज और कुरान पढऩे जैसे जरूरी कामों को भूल जाते हैं। उनके अनुसार, एक सच्चा मुसलमान अपना समय ऐसी बेकार चीजों में बर्बाद नहीं कर सकता। यह प्रतिबंध तालिबान के शासन के तहत लगाए गए कई अजीबोगरीब नियमों में से एक है। इससे पहले, उन्होंने संगीत सुनने, फिल्में देखने और महिलाओं के अकेले घूमने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। तालिबान का कहना है कि ये सभी चीजें इस्लामी कानून के खिलाफ हैं।
प्राचीन और बौद्धिक खेल
शतरंज, जो कि एक प्राचीन और बौद्धिक खेल है, को कई संस्कृतियों में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। अफगानिस्तान में भी इसके कई शौकीन थे, लेकिन अब तालिबान के इस फरमान के बाद उन्हें यह शौक छोडऩा पड़ेगा। इस प्रतिबंध की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। कई लोगों का मानना है कि तालिबान लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शौक पर अनावश्यक रूप से अंकुश लगा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि तालिबान इस प्रतिबंध को कितने सख्ती से लागू करता है और अफगान समाज इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। यह घटना अफगानिस्तान में तालिबान के कठोर शासन की एक और मिसाल पेश करती है।