भारतीय राजनीति में एक अनुभवी और बहुआयामी शख्सियत के रूप में अपनी पहचान बना चुके सीपी राधाकृष्णन को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उनका जीवन राजनीति, समाज सेवा और यहां तक कि खेल के मैदान में भी उपलब्धियों से भरा रहा है। उनकी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने संघर्ष और दृढ़ता के बल पर सफलता हासिल की।
खेल के मैदान से राजनीति के अखाड़े तक
राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उनकी शुरुआती पहचान एक खिलाड़ी के रूप में थी। कॉलेज के दिनों में वह टेबल टेनिस के चैंपियन थे। खेल के प्रति उनका जुनून यहीं तक सीमित नहीं रहा। वह लंबी दूरी की रेस में भी माहिर थे, जो उनके धैर्य और सहनशक्ति को दर्शाता है। यह वही दृढ़ता है, जिसने उन्हें राजनीति के उतार-चढ़ाव भरे रास्ते पर चलने में मदद की।
आरएसएस से जुड़ाव और राजनीतिक सफर
राधाकृष्णन का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ गहरा और पुराना रिश्ता रहा है। वह किशोरावस्था से ही संघ के स्वयंसेवक रहे हैं, जो उनकी विचारधारात्मक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसी वैचारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जोड़ा।
उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कोयंबटूर से शुरू किया। वह दो बार सांसद चुने गए, लेकिन तीन बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा। यह दर्शाता है कि उन्होंने हार को कभी अपनी राह में बाधा नहीं बनने दिया। हार के बाद भी वह लगातार जनता के बीच बने रहे।
19,000 किलोमीटर की पदयात्रा और संयुक्त राष्ट्र में संबोधन
राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में एक महत्वपूर्ण पदयात्रा की थी, जो करीब 19,000 किलोमीटर लंबी थी। इस पदयात्रा के जरिए उन्होंने राज्य के हर कोने तक पहुंचने की कोशिश की और लोगों की समस्याओं को करीब से समझा। यह उनकी जनसंपर्क की क्षमता और जमीनी स्तर पर काम करने की इच्छा को दिखाता है।
उनकी योग्यता और अनुभव का सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर भी किया गया। 2004 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और वहां देश का पक्ष रखा। यह एक ऐसा मंच था, जिसने उनकी अंतरराष्ट्रीय समझ और कूटनीतिक कौशल को साबित किया।
राज्यपाल के रूप में अनुभव और उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी
राधाकृष्णन ने राजनीति में कई अहम पदों पर काम किया है। उन्हें झारखंड और तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। राज्यपाल के रूप में, उन्होंने संवैधानिक पद की गरिमा को बनाए रखते हुए राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका यह अनुभव उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
एनडीए द्वारा उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। यह निर्णय दक्षिण भारत को एक बड़ा संदेश देता है और पार्टी की सामाजिक समावेशी छवि को और मजबूत करता है। राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक करियर, उनका अनुभव और उनकी विचारधारात्मक निष्ठा, उन्हें इस प्रतिष्ठित पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।