महाराष्ट्र की राजनीति फिर करवट ले रही है। खासतोर पर विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। उद्धव गुट भी सरकार से नजदीकी बनाने में लगा हुआ है तो शरद पवार गुट के अजित पवार गुट के साथ जाने की चर्चाएं भी हैं। जिस तरह कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और शरद पवार गुट की अगुवाई वाले एमवीए को लोकसभा में सफलता मिली थी, उससे विधानसभा में जीत की उम्मीद धरी की धरी रह गई। अब हार के कारण एमवीए बिखराव की ओर है। कल एनसीपी-एसएचपी प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। इसकी उद्धव गुट ने आलोचना की, तो शिवसेना ने इसे उनकी खीझ करार दिया है।
पीठ में छुरा घोंपा, विश्वासघात किया
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर कहा कि यह महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार सम्मान उन्हें दिया जाना ही गलत है। शरद पवार साहब जब उन्हें सम्मानित करते हैं तो बुरा लगता है। यह महाराष्ट्र के गौरव के लिए अच्छी बात नहीं है। जिन लोगों ने सरकार गिराई, पीठ में छुरा घोंपा, जो विश्वासघात करने वाले हैं, उनके सम्मान समारोह में जाना समझ के परे है।
पीठ पर हाथ रखना बड़े नेताओं का कर्तव्य
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि शरद पवार ने एकनाथ शिंदे का सत्कार भी किया और उनके बारे में दो अच्छी बातें भी कहीं। पिछले 2.5 साल एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के रूप में जो काम किया है, वो सराहनीय है। ऐसे काम करने वालों की पीठ पर हाथ रखना बड़े नेताओं का कर्तव्य है। जिस भूमिका में कल शरद पवार ने उनका सम्मान किया, लेकिन ये बात उबाठा गढ़ को हजम नहीं हुई। शरद पवार के बारे में इस तरह की टिप्पणी करना, मुझे लगता है कि अब उबाठा गढ़ का अंत नजदीक है।