महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर शामिल किए जाने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है, सभी को इसे सीखना चाहिए। इसके साथ ही अगर आप दूसरी भाषाएं सीखना चाहते हैं तो वो भी सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी का विरोध और अंग्रेजी को बढ़ावा देना आश्चर्यजनक है। अगर कोई मराठी का विरोध करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसलिए हो रहा विरोध
महाराष्ट्र में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को लेकर समय-समय पर विवाद सामने आते रहे हैं। यह मुद्दा मुख्य रूप से राज्य की भाषाई नीति और शिक्षा प्रणाली से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में शिक्षा का माध्यम मुख्य रूप से मराठी है और अंग्रेजी भी एक महत्वपूर्ण भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। तीसरी भाषा के रूप में राज्य सरकार ने विभिन्न समयों पर हिंदी और संस्कृत जैसी भाषाओं को विकल्प के तौर पर रखा है। विवाद का मुख्य कारण यह है कि कुछ लोग मानते हैं कि तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य या प्रमुखता देने से मराठी भाषा के विकास और महत्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उनका तर्क है कि मराठी को अपनी ही भूमि पर उचित स्थान मिलना चाहिए और किसी अन्य भाषा को उस पर वरीयता नहीं दी जानी चाहिए। इसके विपरीत, कुछ लोग हिंदी को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय भाषा मानते हैं और यह तर्क देते हैं कि इसे तीसरी भाषा के रूप में सीखने से छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और अवसरों के लिए बेहतर ढंग से तैयार किया जा सकेगा।