भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा पर बड़े पैमाने पर निर्भरता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इस दिशा में, देश में 10 नए परमाणु रिएक्टरों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, जो भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में इस महत्वाकांक्षी योजना की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि भारत इन 10 नए रिएक्टरों पर काम कर रहा है और 2047 तक देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 10 गुना से भी अधिक बढ़ाने का संकल्प लिया गया है। यह मेगा प्लान देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ये रिएक्टर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं, जिन्हें भारत के वैज्ञानिक और इंजीनियर विकसित कर रहे हैं। इस पहल से न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि यह “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को भी बढ़ावा देगा। यह कदम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए भी दरवाजे खोल रहा है, जिससे निवेश और प्रौद्योगिकी के मामले में नई संभावनाएं पैदा होंगी।
भारत का यह परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। परमाणु ऊर्जा से स्वच्छ और स्थिर बिजली मिलती है, जो भारत की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। इन 10 नए रिएक्टरों के पूरा होने से भारत की कुल परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह कदम भारत को 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emission) के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।
इस योजना के तहत, सरकार ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बड़े सुधारों की घोषणा की है, जिसमें अनुसंधान और विकास पर जोर दिया जा रहा है। भारत का यह प्रयास दर्शाता है कि वह न केवल नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि परमाणु ऊर्जा को भी भविष्य की ऊर्जा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देख रहा है।