देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में लगी है। माना जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। यही वजह है कि राहुल गांधी ने वायनाड से इस्तीफा देकर रायबरेली की सीट चुनी थी। अब 2027 में यहां विधानसभा के चुनाव होनेे हैं तो 2029 में लोकसभा का चुनाव भी होगा। ऐसे में कांग्रेस ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी ने जिलों और शहरों के लिए 133 अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी। इन नियुक्तियों में ओबीसी और मुस्लिम समुदाय पर खास ध्यान दिया गया है। 35 अध्यक्ष ओबीसी समुदाय से, 30 मुस्लिम और 29 ब्राह्मण हैं। इसके अलावा, दलित समुदाय से 15, ठाकुर समुदाय से 12, बनिया समुदाय से 7, कायस्थ और आदिवासी समुदाय से 2-2 और सिख समुदाय से एक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है। 6 महिलाओं को भी इस लिस्ट में जगह मिली है। अब देखना होगा कि कांग्रेस की ये नियुक्तियां क्या राज्य में उसे मजबूत कर पाएंगी।
संगठन को फिर से खड़ा करने की कवायद
कांग्रेस की ये नियुक्तियां संगठन को फिर से खड़ा करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा हैं। पार्टी चाहती है कि जिलेचुनाव प्रचार और फैसलों का केंद्र बनें। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की मीटिंग में इस बारे में चर्चा हुई थी। हर जिले से अध्यक्ष पद के लिए कई लोग दावेदार थे जिसके लिए पार्टी के बड़े नेताओं ने एक पैनल बनाया। इस पैनल ने सभी दावेदारों से बात की और इसके बाद लिस्ट को फाइनल किया गया।
लखनऊ-प्रयागराज से 3 अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं और पार्टी ने हर जिले में एक जिला अध्यक्ष और एक शहर अध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। प्रयागराज ही एक ऐसा जिला है, जहां तीन अध्यक्ष होंगे। गंगापार, यमुनापार और शहर क्षेत्र के लिए एक-एक अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह लखनऊ में 3 अध्यक्ष होंगे, लेकिन शहर और जिला इकाई अलग-अलग रहेंगी। केवल 10 अध्यक्षों को दोबारा नियुक्त किया गया है।