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    हरियाणा में लगातार तीसरी हार से सदमे में कांग्रेस.. हुड्डा युग होगा खत्म, हो सकते हैं बड़े उलटफेर

    हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार से कांग्रेस सदमे में है। उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर चूक कहां हो गई। हुड्डा कैंप के अति आत्मविश्वास या गुटबाजी ने सब किए धरे पर पानी फेर दिया। भाजपा 2014 से ज्यादा सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई। यही नहीं उसे बहुमत से 2 सीटें ज्यादा मिली हैं। 2 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में कांग्रेस में उठापटक तेज हो सकती है। हुड्डा का विरोधी खेमा अब उनके खिलाफ लामबंदी तेज करेगा। एक तरह से कहें कि हुड्डा युग अब खत्म होने की ओर है, तो गलत नहीं होगा।

    हुड्डा पूरी तरह फेल हुए

    2014 और 2019 का चुनाव हारने के बाद भी राज्य की कमान एक तरह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में ही रही है। लेकिन अब लगातार तीसरा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में उलटफेर देखने को मिल सकता है। जिस तरह हुड्डा ने अति आत्मविश्वास में सत्ता में वापसी का दावा किया और वे पूरी तरह से फेल हो गए। इसे देखते हुए विरोधी गुट कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला का दबदबा बढ़ सकता है। विरोधी गुट को नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल सकती है। एक तरह से कहा जाए कि हरियाणा में हुड्डा गुट की अहमियत कम होगी, तो यह गलत नहीं होगा।

    दबदबा होगा खत्म, शैलजा की अहमियत बढ़ेगी

    हुड्डा का दबदबा अब हरियाणा से खत्म हो सकता है। ऐसे में सांसद कुमारी शैलजा की अहमियत बढ़ सकती है। जिस तरह उन्होंने टिकट वितरण पर सवाल उठाए, हार के बाद सभी वर्गों को अहमियत देने की बात कही, उससे उनकी अहमियत अब बढ़ सकती है। शैलजा की गांधी परिवार में पैठ है, उसे देखते हुए लगता है कि अब उनकी वजनदारी बढ़ेगी। साथ ही उन्हें सुरजेवाला का समर्थन भी मिलेगा, जिससे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कद दिल्ली दरबार में घट जाएगा।

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