कांग्रेस ने राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आमंत्रण ठुकरा दिया और जवाब दिया कि यह आयोजन बीजेपी और आरएसएस का है। राजनीतिक पंडितो का भी यही कहना है कि कांग्रेस ने यहां बड़ी गलती कर दी है। चूंकि राम जन-जन के हृदय हैं और करोड़ों दिलों में समाए हुए हैं। ऐसे में इसे राजनीतिक रंग देना कहीं न कहीं कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएगा। कांग्रेस की राह पर अन्य राजनीतिक दल भी चल पड़े। लेफ्ट, आरजेडी, उद्धव गुट और कई क्षेत्रीय नेताओं ने अनापशनाप बयान दिए, जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में उठाना पड़ सकता है। यह भी कहा जा सकता है कि एक तरह से इन विपक्षी दलों ने मोदी का विरोध करते-करते भगवान राम का विरोध कर डाला। लेकिन इन सबसे इतर मराठा छत्रप और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सधे हुए अंदाज में जवाब दिया है। उन्होंने आमंत्रण, राममंदिर का विरोध नहीं किया, बल्कि इसे गौरव बताते हुए बाद में आने की बात कह दी। एक तरह से उन्होंने सबको साधने का काम किया है।
शरद पवार ने यह दिया जवाब
शरद पवार ने चंपत राय को पत्र में लिखा कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में हो रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता मुझे मिला है और इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। शरद पवार ने लिखा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारत ही नहीं, विश्वभर में फैले करोड़ों भक्तों की श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं। अयोध्या के समारोह को लेकर रामभक्तों में उत्सुकता और आतुरता है और वे भारी संख्या में वहां पहुंच रहे हैं। उनके माध्यम से इस ऐतिहासिक समारोह का आनंद मुझ तक पहुंचेगा। 22 जनवरी के समारोह के समापन के पश्चात श्री रामलला के दर्शन सहजता और आराम के साथ किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि मेरा अयोध्या आने का कार्यक्रम है। उस समय श्रद्धा के साथ श्री रामलला जी के दर्शन करूंगा। तब तक राम मंदिर का निर्माण भी पूर्ण हो चुका होगा। आपके स्रेहपूर्ण निमंत्रण के लिए मैं एक बार फिर हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। समारोह की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।
शरद पवार से सीखे कांग्रेस और विपक्षी नेता.. अयोध्या जाने पर सधे अंदाज में दिया जवाब
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