उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे, लेकिन लगे हाथ वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से भी मिल रहे हैं। इसके पीछे कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं उनकी कुर्सी जाने वाली तो नहीं है। दरअसल उप्र में भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। 80 में से 80 सीटें जीतने का दंभ भरने वाली भाजपा यहां सिर्फ 33 सीटें ही जीत पाई। सपा ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए जहां 37 सीटें जीतीं तो पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस 6 सीटें जीतने में सफल हो गई। एक तरह से यह सीएम योगी के लिए बड़ा सैडबैक था। चूंकि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव की कमान उनके हाथ में थी। फिर भी भाजपा यहां पार्टी विरोधी अंडरकरंट को समझने में फेल हो गई। भाजपा का 2014 के बाद से यह सबसे खराब प्रदर्शन है। यही वजह है कि केंद्र में भाजपा अपने बलबूते सरकार नहीं बना पाई और एनडीए के समर्थन से उसे गठबंधन की मजबूरियां गिनाते हुए सरकार चलानी पड़ेगी।
इन नेताओं से मिले योगी
योगी आदित्यनाथ केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। उन्होंने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी से भी मुलाकात की। अमित शाह और योगी के बीच बैठक भी हुई है। केंद्रीय मंत्रियों सहित कई बड़े नेताओं के उप्र से हारने पर मंथन हुआ है। राम मंदिर लहर के बाद भी अयोध्या फैजाबाद में हार से हर कोई स्तब्ध है। वहीं सपा ने अयोध्या जीतकर आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को अपसेट कर दिया है।
क्या सही होगी केजरीवाल की भविष्यवाणी
कुछ दिन पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव होने के 6 माह के अंदर ही योगी आदित्यनाथ को बदल दिया जाएगा। उनकी कुर्सी जानी तय है। केजरीवाल ने यह भी कहा कि भले ही मोदी पीएम बन जाएं, लेकिन वे कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे और अमित शाह देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अब देखना होगा कि केजरीवाल की कौन-कौन सी भविष्यवाणियां सच साबित हो पाती हैं।