अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और दुनियाभर से आए भक्त रामलला के दर्शन कर रहे हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब देशभर के करोड़ों लोग चाहते थे कि फैसला रामलला के पक्ष में आ जाए। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद का वाकया बताया है। उन्होंने इसके हल के लिए भगवान से प्रार्थना की थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था, तब चंद्रचूड़ भी पीठ में शामिल थे। सीजेआई ने हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा भी किया है।
ईश्वर सदैव कोई रास्ता निकाल लेंगे
सीजेआई चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के खेड़ तालुका के अपने पैतृक गांव कन्हेरसर में एक सभा में कहा कि अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद एक ऐसा मामला है, जिस पर निर्णय करना बेहद कठिन था। उन्होंने कहा कि इस मामले के हल के लिए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा कि अक्सर हमारे पास मामले आते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंचते। अयोध्या के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। सीजेआई ने कहा कि मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें इसका हल खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह नियमित रूप से प्रार्थना करते हैं। मेरा विश्वास करें, यदि आपमें आस्था है, तो ईश्वर सदैव कोई रास्ता निकाल लेंगे।
फैसला सुनाने वाली बेंच में थे शामिल
9 नवंबर, 2019 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। सीजेआई चंद्रचूड़ उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। बेंच ने तब फैसला सुनाया था कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी। चंद्रचूड़ ने इस साल जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा किया था और पूजा-अर्चना की थी। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंदिर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी।