पिछले तीन महीनों में भारत के प्रति चीन के रुख में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में चीन ने मसौदा घोषणापत्र में पहलगाम हमले का जिक्र तक नहीं किया था, लेकिन अब SCO शिखर सम्मेलन के बाद जारी हुए संयुक्त घोषणापत्र में इस हमले की कड़ी निंदा की गई है। यह चीन की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
सोमवार को जारी हुए तियानजिन घोषणापत्र में सदस्य देशों ने साफ तौर पर कहा कि वे आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं। इसमें विशेष रूप से 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले का उल्लेख किया गया है। घोषणापत्र में कहा गया, “सदस्य राष्ट्र पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की सख्ती से भर्त्सना करते हैं। उन्होंने मारे गए और घायलों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।”
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घोषणापत्र में आतंकवाद के गुनहगारों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की बात कही गई है। यह सीधे तौर पर पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीतियों पर एक करारा प्रहार माना जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में चीन के सक्रिय सहयोग के बाद यह समझना जरूरी है कि आखिर चीन ने पाकिस्तान के प्रति अपनी सोच क्यों बदली है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव चीन और भारत के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की चीन की गंभीर इच्छा को दर्शाता है। यह भी हो सकता है कि चीन वैश्विक मंच पर अपनी छवि को लेकर अधिक सतर्क हो रहा हो और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता हो। इस घोषणापत्र से यह स्पष्ट है कि भारत की कूटनीति सफल रही है और उसने चीन को आतंकवाद के मुद्दे पर अपने पाले में लाने में कामयाबी हासिल की है।