पड़ोसी देश चीन कभी आबादी के लिहाज से नंबर वन था। इसी कारण उसने मेनपॉवर को देखते हुए तेजी से तरक्की की। लेकिन एक बच्चे की नीति के चलते अब हालात बदल चुके हैं। चीन तेजी से बूढ़ों का देश बनता जा रहा है। जनसंख्या के कम होने के चलते सामाजिक और आर्थिक संकट बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि आने वाले दशकों में चीन में जनसंख्या घटने की रफ्तार और ज्यादा तेज हो जाएगी। अगले 75 साल में वर्तमान आकार से घटकर आधा रह जाएगा। हालांकि चीन के नीति निर्माता सुधार की गति बढ़ा सकते हैं। उनका लक्ष्य युवा जोड़ों और परिवार बनाने की उनकी इच्छा के बीच आने वाली बाधाओं को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा।
51 मिलियन कम होगी आबादी
चीनी आबादी अगले 10 साल में 51 मिलियन (5 करोड़, 10 लाख) तक कम होने की संभावना है। हालांकि चीनी सरकार लगातार देश की गिरती जन्म दर को बढ़ाने के प्रयास कर रही है लेकिन उसे बहुत ज्यादा सफलता मिलते नहीं दिख रही है। ऐसे में आने वाले दशक में चीन की जनसंख्या में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हो सकती है। 2035 तक चीन की जनसंख्या घटकर 1.36 बिलियन हो जाने की उम्मीद है।
विवाह दर और जन्म दर निचले स्तर पर
चीन में एक साल में जन्म दर में वृद्धि अल्पकालिक रही है। देश में विवाह दर सबसे निचले स्तर पर है । ऐसे में ज्यादा बच्चे पैदा होने की उम्मीद ही बेमानी है। चीन में एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर कई तरह के दंड का प्रावधान था। अब महंगाई और बदलते सामाजिक मानदंडों की वजह से भी महिलाएं कम बच्चे पैदा कर रही हैं। यही वजह है कि जवानों की संख्या कम हो रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था, पेंशन प्रणाली और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ रहा है। चीन ने 2016 में एक-बच्चे की नीति को खत्म दिया और 2021 से 3 बच्चे पैदा करने पर जोर दिया, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ।