दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही इसके स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ गई है। सर गंगाराम अस्पताल के सह निदेशक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता ने प्रदूषण के बच्चों और श्वसन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों के बारे में चेतावनी दी है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि बच्चों के अंग नाजुक होते हैं, और जो भी चीज इन नाजुक अंगों को प्रभावित करती है, वह अधिक हानिकारक साबित होती है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण अस्थमा या अन्य श्वसन समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है।
अस्थमा और फेफड़ों में बदलाव: उन्होंने समझाया कि अगर एक सामान्य व्यक्ति भी अत्यधिक प्रदूषित हवा में सांस लेता है, तो उसके फेफड़ों में हानिकारक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन अंततः प्रदूषण से प्रेरित अस्थमा का कारण बन सकते हैं। यह दर्शाता है कि प्रदूषण केवल पहले से बीमार लोगों को ही नहीं, बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के श्वसन तंत्र को भी स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर असर: डॉ. धीरेन गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं को भी प्रभावित करता है, और इसके दुष्परिणाम उनके होने वाले बच्चों पर भी पड़ते हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि प्रदूषण का प्रभाव जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है।
डॉ. गुप्ता ने प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों में से वाहनों से होने वाले प्रदूषण को सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने लोगों से प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूक रहने और इससे बचाव के उपायों को अपनाने की अपील की। उनकी चेतावनी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।