भारत द्वारा सिंधु जल संधि के तहत अपनी नदियों के पानी के इस्तेमाल में तेजी लाने के बाद पाकिस्तान में गंभीर जल संकट और इससे उपजा राजनीतिक कोहराम थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी कड़ी में पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसकी वजह पाकिस्तान में गहराते जल संकट को बताया जा रहा है।
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय में सचिव के पद पर तैनात डॉ. फ़ैसल महमूद ने हाल ही में अपना इस्तीफा सौंपा है। उनके इस्तीफे की मुख्य वजह भारत द्वारा रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के पानी को रोकने के लिए बनाए जा रहे बांध और नहर परियोजनाएं हैं, जिनसे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की मात्रा में भारी कमी आई है। पाकिस्तान के कई कृषि प्रधान क्षेत्रों में पानी की कमी के कारण फसलें सूख रही हैं, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है और खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
डॉ. महमूद के इस्तीफे को पाकिस्तान सरकार पर बढ़ते दबाव के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की ‘वॉटर स्ट्राइक’ (जल संबंधी रणनीतिक पहल) का प्रभावी ढंग से जवाब देने में विफल रही है। बताया जा रहा है कि आंतरिक बैठकों में डॉ. महमूद ने सरकार को इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया था और भारत के साथ जल बंटवारे पर तत्काल बातचीत शुरू करने या वैकल्पिक समाधान खोजने का सुझाव दिया था, लेकिन उनकी सलाह को गंभीरता से नहीं लिया गया।
पाकिस्तान में विपक्षी दल और कृषि संगठन सरकार पर अक्षमता का आरोप लगा रहे हैं और इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस जल संकट का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा कर सकता है। डॉ. महमूद का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि देश में जल संकट एक गंभीर आंतरिक समस्या बन चुका है।


