उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में “छांगुर बाबा” के नाम से कुख्यात जमालुद्दीन के अवैध धर्मांतरण का काला साम्राज्य सामने आया है। कभी साइकिल पर नग बेचने वाला छांगुर बाबा आज 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक है, और उस पर डेढ़ हजार से ज्यादा हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण का आरोप है। उसके इस काले कारोबार में विदेशी फंडिंग, खासकर इस्लामिक देशों से, का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है।
छांगुर बाबा ने खुद को “पीर बाबा” और “सूफी” बताकर अपना नेटवर्क फैलाया। बताया जा रहा है कि उसने पहले मुंबई और फिर दुबई में अपना जाल बिछाया। मुंबई में हाजी अली दरगाह के पास एक आश्रम बनाकर उसने अपने अनुयायी बनाए, जिनमें अधिकारी, जज और पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
धर्मांतरण के लिए उसने ‘ब्रेनवॉश मॉडल’ का इस्तेमाल किया, जिसमें नीतू उर्फ नसरीन जैसी महिलाएं पीड़ितों को बहकाती थीं। जांच में सामने आया है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और सिख लड़कियों के धर्मांतरण पर 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख और अन्य के लिए 8-10 लाख रुपये तक मिलते थे।
उसके इस विशाल नेटवर्क में देश के कई राज्यों, जिनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान शामिल हैं, में सक्रिय 14 से अधिक सदस्य शामिल थे। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है और 100 करोड़ से अधिक के लेनदेन की जांच कर रहा है। छांगुर बाबा की बलरामपुर स्थित आलीशान कोठी, जिसमें प्राइवेट पावर प्लांट और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया है।
इस पूरे प्रकरण में जिला पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस अवैध कारोबार की जानकारी उन्हें पहले क्यों नहीं हुई। एटीएस अब छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों से पूछताछ कर विदेशी फंडिंग और उसके पूरे नेटवर्क का खुलासा करने में जुटी है। यह मामला अवैध धर्मांतरण के एक बड़े और सुनियोजित षड्यंत्र को उजागर करता है।