भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की डील से पाकिस्तान-चीन बौखलाए हुए हैं। अमेरिका भी शुरू से इस परियोजना के विरोध में है और उसने प्रतिबंध लगाने तक की धमकी दे डाली है। बहरहाल अमेरिका ने धमकी तो दे दी है, लेकिन इस पर अमल करना बाइडेन प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा। दरअसल चाबहार पोर्ट से ईरान, अफगानिस्तान के साथ भारत को फायदा होगा। लेकिन ईरान से तनातनी के कारण अमेरिका ने इसका विरोध किया है। हालांकि यह विरोध ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा, क्योंकि अमेरिका को भारत का साथ चाहिए।
अफगानिस्तान भी कर चुका है समर्थन
चीन को न्यूट्रल करने के लिए भी यह जरूरी है। चाबहार के माध्यम से पाकिस्तान और चीन को नुकसान होगा। अफगानिस्तान इस पर भारत का समर्थन कर चुका है तो ऐसे में उसकी कराची पोर्ट से निर्भरता कम हो जाएगी। इससे ईरान, मध्य एशिया और रूस के साथ व्यापार करना भारत के लिए सरल हो जाएगा।
चीन से सामना करने के लिए जरूरी है साथ
अमेरिका को कुछ सालों से चीन से खतरा बढ़ता जा रहा है। ताइवान के मुद्दे पर युद्ध का खतरा है। पाकिस्तान ने चीन को ग्वादर पोर्ट दे दिया है। ऐसे में चीन के प्रभुत्व को कम करने के लिए चाबहार परियोजना बेहद जरूरी है। इससे चीन का प्रभाव कम हो जाएगा। साथ ही भारत के हितों को इससे फायदा होगा और दुनियाभर में व्यापार तेजी से बढ़ेगा। भारत के रणनीतिक पुनर्संरचना से अमेरिका को भी लाभ होगा। ऐसे में देर-सबेर अमेरिका भी प्रतिबंध में ढील देगा या कुछ शर्तों के साथ परियोजना पूरी होने देगा।