केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने मलयालम फिल्म ‘JSK: जानकी vs स्टेट ऑफ केरल’ की रिलीज पर रोक लगा दी है। यह फिल्म, जिसमें केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी मुख्य भूमिका में हैं, 27 जून 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली थी। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के शीर्षक और मुख्य किरदार के नाम ‘जानकी’ पर गंभीर आपत्ति जताई है, जिसके बाद फिल्म मेकर्स को बड़ा झटका लगा है।
रिपोर्टों के अनुसार, CBFC ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फिल्म में पीड़ित महिला किरदार को ‘जानकी’ नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह हिंदू देवी सीता का एक पर्यायवाची नाम है। सेंसर बोर्ड का तर्क है कि एक ऐसे किरदार को, जो किसी अत्याचार या कानूनी लड़ाई का सामना कर रहा हो, देवी सीता के नाम से नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
फिल्म ‘JSK: जानकी vs स्टेट ऑफ केरल’ प्रवीण नारायणन द्वारा निर्देशित है और इसमें एक महिला की कानूनी लड़ाई को दर्शाया गया है, जो एक दर्दनाक घटना के बाद राज्य के खिलाफ न्याय के लिए लड़ती है। फिल्म मेकर्स फेडरेशन ऑफ केरल (FEFKA) के महासचिव बी. उन्नीकृष्णन ने मीडिया को बताया कि CBFC ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि फिल्म के शीर्षक से ‘जानकी’ नाम हटा दिया जाए और मुख्य किरदार का नाम भी बदला जाए। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई लिखित नोटिस जारी नहीं किया गया है।
यह विवाद फिल्म जगत में सेंसरशिप और कलात्मक स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस छेड़ रहा है। फिल्म निर्माता इस फैसले को अजीब बता रहे हैं और उनका तर्क है कि ‘जानकी’ एक आम भारतीय नाम है और इसका उपयोग करने से किसी की धार्मिक भावनाएं कैसे आहत हो सकती हैं। उनका कहना है कि अगर सीता जैसी देवी भी रावण से बच सकती हैं और फिर भी पूजनीय मानी जा सकती हैं, तो एक ‘जानकी’ नाम का किरदार भी एक अत्याचार और अदालती ड्रामा से गुजरने के बाद भी लोगों की आस्था को कम नहीं करेगा।
अब मेकर्स को फिल्म की रिलीज के लिए नाम में बदलाव करना होगा, जिससे फिल्म की रिलीज में और देरी होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद भारतीय फिल्म निर्माण और सेंसरशिप के भविष्य के लिए क्या नजीर पेश करता है।