समाजसेवी अन्ना हजारे ने देश की सर्वोच्च भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल द्वारा बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी गाड़ियाँ खरीदने की प्रक्रिया पर गहरा दुख और निराशा व्यक्त की है।
लोकपाल कार्यालय ने अपनी प्रशासनिक और परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सात बीएमडब्ल्यू 330 एलआई (लॉन्ग व्हील बेस) कारें खरीदने के लिए 16 अक्तूबर को सार्वजनिक टेंडर जारी किया है। इन सात कारों की कुल लागत पाँच करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है, क्योंकि प्रत्येक कार की कीमत 60 लाख रुपये से ज्यादा है।
अन्ना हजारे ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा: “लोकपाल कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया था। मुझे अंदाज़ा नहीं था कि ऐसे अनुचित कार्य भी होंगे। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका काम जनता और समाज की सेवा करना होना चाहिए, न कि गाड़ियाँ ख़रीदना…”
लोकपाल, जिसकी स्थापना जन लोकपाल आंदोलन (2010) के बाद लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत हुई थी, वर्तमान में न्यायमूर्ति अजय माणिकराव खानविलकर (सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश) की अध्यक्षता में कार्य कर रहा है।
लोकपाल अधिकारियों के अनुसार, बीएमडब्ल्यू इंडिया गाड़ियों की डिलीवरी के बाद ड्राइवरों और कर्मचारियों को सुरक्षा फीचर्स और संचालन पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण भी देगी। हालांकि, हजारे का बयान भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बने निकाय द्वारा सार्वजनिक धन के ऐसे खर्च पर सवाल उठाता है। लोकपाल को प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों और केंद्र सरकार के अधिकारियों तक के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने का अधिकार है।


