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    खून और नदी एक साथ नहीं बह सकते, तालिबान का स्टैंड, चीन और ईरान का समर्थन

    तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अख़ुंदज़ादा ने अफगानिस्तान के जल मंत्री को कुनार नदी पर तत्काल बांध बनाने का आदेश दिया है, जिसका सीधा उद्देश्य नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकना है। तालिबान ने यह फैसला भारत की तर्ज पर लिया है, और कहा है कि ‘खून और नदी एक साथ नहीं बह सकते।’ यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि के संदर्भ में दिए गए बयान की ही प्रतिध्वनि है। कुनार नदी (480 किमी लंबी) अफगानिस्तान के नंगहार और कुनार प्रांतों से होकर बहती है और यह पाकिस्तान की सिंधु नदी में मिलती है। यह, काबुल नदी के साथ मिलकर, पाकिस्तान के लिए पानी का एक बड़ा स्रोत है।

    अफगानिस्तान की पाकिस्तान स्ट्रैटजी:

    • तालिबान का कहना है कि वे पानी को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में उसके हस्तक्षेप के खिलाफ ‘एकमात्र गैर-सैन्य हथियार’ के रूप में देखते हैं।
    • तालिबान का आरोप है कि ISI दशकों से काबुल पर नियंत्रण के लिए ISIS गुटों को धन और हथियार दे रहा है।
    • पानी को रोकने या मोड़ने से काबुल को पाकिस्तान के हथकंडों का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक हथियार मिलता है।
    • उद्देश्य: हेलमंद, काबुल, कुनार जैसी नदियों पर संप्रभुता का इस्तेमाल करना और अफगान कृषि तथा बिजली के लिए पानी सुरक्षित करना। कमाल खान और शहतूत जैसे बांध जल-आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करने की व्यापक योजना का हिस्सा हैं।
    • बदले की भावना: पानी को रोकना पाकिस्तान द्वारा अफगान शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन और तोरखम व्यापार मार्गों को बंद करने के आर्थिक और मानवीय दबाव का बदला माना जा रहा है।

    चीन और ईरान का समर्थन क्यों?

    • न्यूज़-18 के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ईरान और चीन, दोनों चुपचाप नदियों पर अफगान नियंत्रण का समर्थन कर रहे हैं।
    • इसका कारण यह है कि वे दक्षिणी पंजाब और बलूचिस्तान में पाकिस्तान के कृषि आधार को कमजोर करना चाहते हैं।

    पाकिस्तान और तालिबान में तनाव:

    • यह तनाव तब चरम पर पहुँचा जब पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के शिविरों को निशाना बनाकर सीमा पार हवाई हमले किए। जवाबी हमले में तालिबान ने 58 जवानों को मार गिराया और 20 सुरक्षा चौकियां नष्ट कर दीं। पाकिस्तान के सैन्य शासक जनरल जिया-उल-हक का ‘रणनीतिक गहराई’ (Strategic Depth) का सिद्धांत, जिसका मकसद पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना था, अब तालिबान की कार्रवाई के कारण पाकिस्तान के लिए ‘रणनीतिक मृत्यु’ (Strategic Death) में बदलता दिख रहा है।
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