भारतीय जनता पार्टी ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए आगामी जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने की घोषणा की है। यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लंबे समय से विपक्षी दलों द्वारा उठाया जा रहा एक मुद्दा था। विपक्षी दलों ने लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग की है, उनका तर्क है कि यह सरकार को जाति आधारित असमानताओं को बेहतर ढंग से समझने और लक्षित नीतियां बनाने में मदद करेगा। हालांकि भाजपा पहले इस विचार का विरोध करती रही है। भाजपा के इस फैसले को राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। उनका मानना है कि भाजपा विपक्ष से इस मुद्दे को छीनकर और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाकर अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करना चाहती है। विपक्ष ने ली श्रेय लेने की कोशिश
हालांकि विपक्षी दलों ने भाजपा के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने सरकार से इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेंगे। जाति आधारित जनगणना का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा है। इसका आगामी चुनावों और खासकर बिहार में महत्वपूर्ण प्रभाव पडऩे की संभावना है। भाजपा के इस कदम से विपक्षी दलों को नुकसान हो सकता है, लेकिन यह देखना बाकी है कि मतदाता इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फैसले के बाद प्रेस कान्फ्रेंस की और स्पष्ट किया कि यह उनका दबाव ही था, जिसके कारण सरकार ने यह फैसला लिया। उन्होंने संसद में कहा था कि जातिगत जनगणना कराकर रहेंगे।
क्या होगा आगे का रास्ता
सरकार ने अभी तक जाति आधारित जनगणना के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है। यह देखना बाकी है कि यह प्रक्रिया कब शुरू होगी और इसके क्या परिणाम होंगे। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भाजपा ने विपक्ष से छीना जातिगत जनगणना का मुद्दा.. नजर बिहार विधानसभा चुनाव पर
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