प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को उनके पद से हटाने संबंधी 130वें संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पर विचार के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रमुख विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस JPC का हिस्सा न बनने का फैसला किया है। पार्टी ने इस पूरी कवायद को एक “तमाशा” करार दिया है, जिससे विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में भी दरार पड़ गई है।
TMC का कहना है कि सरकार द्वारा लाया गया यह विधेयक पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। पार्टी का मानना है कि इस तरह के बिल पर चर्चा के लिए बनी JPC में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि यह अंततः सरकार के एजेंडे को ही आगे बढ़ाएगा। टीएमसी सूत्रों के अनुसार, पार्टी का मानना है कि JPC में शामिल होकर इस “तमाशे” का हिस्सा बनने के बजाय, इसका बहिष्कार करना बेहतर है।
यह विधेयक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर अपराधों में 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर पद से हटाने का प्रावधान करता है। विपक्ष इसे संघीय ढांचे और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है। टीएमसी समेत कई दलों ने आरोप लगाया है कि यह कानून केंद्र सरकार को विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए एक नया हथियार देगा।
TMC का यह रुख अन्य विपक्षी दलों से अलग है, जो JPC में शामिल होकर विधेयक का विरोध करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस और अन्य दलों का मानना है कि JPC ही एकमात्र ऐसा मंच है जहाँ वे अपनी बात मजबूती से रख सकते हैं। हालाँकि, टीएमसी के इस फैसले ने विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह दर्शाता है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर भी विपक्षी खेमा एकजुट नहीं है।