बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के दौरान, प्रमुख राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादों की घोषणा की है, जबकि प्रतिद्वंद्वी दलों ने इन वादों को चुनावी हथकंडा बताकर खारिज कर दिया है।
कांग्रेस (महागठबंधन) के बड़े वादे
दिल्ली में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने महागठबंधन के प्रमुख वादों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से राज्य की महिलाओं और किसानों को आकर्षित करना है।
- तिवारी ने ऐलान किया कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को बिहार की महिलाओं के बैंक खातों में 30,000 रुपये की राशि सीधे जमा की जाएगी। उन्होंने इस घोषणा के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को बधाई दी, जो स्पष्ट रूप से तेजस्वी यादव की ओर इशारा था।
 - उन्होंने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बोनस देने और सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त करने का वादा भी दोहराया।
 
तेजस्वी यादव (RJD) का किसान केंद्रित घोषणापत्र
पटना में, राघोपुर विधानसभा सीट से राजद उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इन किसान केंद्रित वादों को और स्पष्ट किया। सरकार बनने पर धान के MSP के अतिरिक्त 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का भुगतान किया जाएगा। गेहूं खरीद पर MSP के अतिरिक्त 400 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए किसानों को पूरी तरह मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
भाजपा (NDA) का पलटवार
इन वादों पर पलटवार करते हुए, पटना में भाजपा सांसद रवि किशन ने महागठबंधन पर निशाना साधा। रवि किशन ने आरोप लगाया कि महागठबंधन को पता चल गया है कि वे ‘बहुत बुरी हार की ओर बढ़ रहे हैं’। इसलिए, वे हर दिन नए और बड़े-बड़े वादे करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के सारे प्लान हर दिन ‘बेहतर होते रहेंगे’ क्योंकि उन्हें यह अहसास हो गया है कि बिहार में NDA की बहुत बड़ी लहर है। उनका मानना है कि ये वादे ज़मीनी हकीकत से दूर हैं और केवल हार के डर से दिए जा रहे हैं।
कुल मिलाकर, बिहार का चुनावी माहौल अब सीधे-सीधे गारंटी और वादों की प्रतिस्पर्धा में बदल गया है, जबकि सत्ताधारी गठबंधन इन वादों को केवल चुनावी जुमला बताकर खारिज कर रहा है।

                                    
