बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में हुए बंपर मतदान ने राजनीतिक विश्लेषकों और दोनों प्रमुख गठबंधनों (NDA और महागठबंधन) की धड़कनें बढ़ा दी हैं। रिकॉर्ड तोड़ मतदान, जो 2020 के पिछले चुनाव की तुलना में काफी अधिक है, आमतौर पर बदलाव की लहर या किसी विशेष वर्ग के एकजुट होकर मतदान का संकेत माना जाता है।
रिकॉर्ड मतदान और उसके मायने
- इस बार पहले चरण में 64.69% (अनंतिम) मतदान दर्ज किया गया है, जो 2020 के पहले चरण (56.1%) के मुकाबले लगभग 8% अधिक है, और बिहार के चुनावी इतिहास में एक रिकॉर्ड है।
- चुनाव शास्त्र में, वोट प्रतिशत में अप्रत्याशित वृद्धि को अक्सर सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि मतदाता मौजूदा सरकार से असंतुष्ट होने पर बड़ी संख्या में बाहर निकलते हैं।
- जनविश्वास बनाम बदलाव की आहट:
- सत्ताधारी गठबंधन इसे जनविश्वास और अपने सुशासन के प्रति समर्थन मान रहा है।
- विपक्ष इसे बदलाव की आहट और सरकार के प्रति जन असंतोष का संकेत बता रहा है।
महिला मतदाता: गेम चेंजर
इस बार महिला मतदाताओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है।
- 2005 के बाद से महिलाएँ नीतीश कुमार की एक मजबूत समर्थक रही हैं (खासकर शराबबंदी और साइकिल योजना जैसी नीतियों के कारण)। एनडीए को उम्मीद है कि यह उच्च मतदान उनकी तरफ हुआ होगा।
- महागठबंधन भी महिलाओं को लेकर बड़े वादे कर रहा है और यह मान रहा है कि उच्च भागीदारी बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बदलाव की चाहत रखने वाली महिलाओं की है।
पिछले चुनावों का पैटर्न (2020 का विश्लेषण)
2020 के पिछले विधानसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों का परिणाम विश्लेषण काफी करीबी था:
| गठबंधन | 2020 में पहले चरण की सीटें |
| महागठबंधन | 61 सीटें (RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी) |
| NDA | 59 सीटें |
- हालांकि 2020 में पहले चरण में महागठबंधन ने अधिक सीटें जीती थीं, लेकिन अंतिम परिणाम NDA के पक्ष में गया था।
- यह दर्शाता है कि पहले चरण का प्रदर्शन अंतिम परिणाम का निर्णायक संकेत नहीं होता।
किसकी बनेगी सरकार – नीतीश या तेजस्वी?
बंपर वोटिंग किस खेमे को फायदा पहुंचाएगी, इसका आकलन करना अभी मुश्किल है:
- एंटी-इनकंबेंसी सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के पक्ष में जा सकती है।
- लेकिन, यदि यह उच्च मतदान महिला सशक्तिकरण या लाभार्थी वर्ग के कारण है, तो यह NDA (नीतीश कुमार) को बचा सकता है।
- एक नया कारक प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी है, जिसके मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और यह किसको कितना नुकसान पहुंचाएगी, यह भी देखना होगा। निष्कर्ष के लिए 14 नवंबर को अंतिम परिणामों का इंतजार करना होगा।


