राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज नागपुर में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भागवत ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में, खासकर राजनीति में, 75 वर्ष की आयु के बाद नेताओं को सक्रिय पदों से हट जाना चाहिए और युवाओं को मौका देना चाहिए। उनके इस बयान को भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से जोड़कर देखा जा रहा है, जो 75 वर्ष की आयु सीमा के करीब या उसे पार कर चुके हैं।
भागवत ने कहा, “एक निश्चित उम्र के बाद व्यक्ति को अपने पद से निवृत्त होकर नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देना चाहिए। 75 साल एक ऐसी उम्र है जब व्यक्ति को सक्रिय जिम्मेदारी से मुक्त होकर मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए। इससे संगठन और देश दोनों को लाभ होता है, क्योंकि युवा ऊर्जा और नए विचार सामने आते हैं।”
उनके इस बयान का सीधा असर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जैसे भाजपा के शीर्ष नेताओं पर पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 73 वर्ष के हैं और अक्टूबर 2026 में 75 के हो जाएंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही 71 वर्ष के हैं और नवंबर 2025 में 72 के हो जाएंगे। भाजपा में एक अनौपचारिक 75 वर्ष की आयु सीमा का नियम पहले भी चर्चा में रहा है, जिसके तहत कई वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट से बाहर किया गया था या पार्टी के भीतर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था।
भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में विभिन्न स्तरों पर चुनाव होने वाले हैं और भाजपा में पीढ़ीगत बदलाव की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। इस बयान से पार्टी के भीतर और बाहर नई बहस छिड़ सकती है कि क्या भाजपा अब अपने वरिष्ठ नेताओं को धीरे-धीरे मुख्यधारा की राजनीति से हटाकर नई पीढ़ी को आगे लाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संघ का यह बयान भाजपा के भविष्य के संगठनात्मक और चुनावी फैसलों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।