मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में पुलिस और प्रशासन को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। दुर्दांत नक्सली संगठन की सदस्य, सुनीता नामक एक महिला नक्सली ने मंगलवार को आत्मसमर्पण कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मासूम सी दिखने वाली इस महिला नक्सली पर सरकार ने 14 लाख रुपये का भारी इनाम रखा हुआ था।
मासूमियत के पीछे की कहानी
- 14 लाख रुपये की इनामी राशि इस बात का प्रमाण है कि सुनीता नक्सली संगठन के भीतर कितनी महत्वपूर्ण सदस्य थी। आत्मसमर्पण के दौरान वह डरी-सहमी और ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी, जो यह दर्शाता है कि नक्सली जीवन कितना खौफनाक होता है।
- ब्रेन वॉश का शिकार
- सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वे दुर्दांत हैवान कौन हैं, जिन्होंने इतनी कम उम्र की लड़कियों और मासूमों का ब्रेन वॉश करके उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी। सुनीता की कम उम्र को देखते हुए यह गंभीर चिंता का विषय है कि कितने अन्य मासूमों को जीवन जीने का मौका मिलने से पहले ही दरिंदों ने हिंसा के दलदल में धकेल दिया।
नया जीवन और प्रशासन की पहल
सुनीता का आत्मसमर्पण बालाघाट पुलिस और प्रशासन की आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) की सफलता को दर्शाता है।
- आत्मसमर्पण के बाद सुनीता को अब नया जीवन मिला है। प्रशासन उसे मुख्यधारा में लौटने और एक सामान्य नागरिक के रूप में जीवन शुरू करने में मदद करेगा।
- 14 लाख की इनामी नक्सली का आत्मसमर्पण, संगठन के अन्य सदस्यों को भी यह संदेश देता है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटना ही सही विकल्प है। यह घटना नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास के प्रयासों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। शासन अब सुनीता से नक्सली संगठन की आंतरिक जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा, जिससे इस समस्या की जड़ों तक पहुंचने में मदद मिल सके और ‘मासूमों का ब्रेन वॉश’ करने वाले हैवानों को बेनकाब किया जा सके।


