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    बलरामपुर धर्मांतरण गैंग : ATS ने जलालुद्दीन के कोड वर्ड्स का किया बड़ा खुलासा

    उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सक्रिय धर्मांतरण सिंडिकेट के खिलाफ चल रही जांच में यूपी एटीएस (एंटी-टेररिज्म स्क्वाड) को बड़ी सफलता मिली है। मामले की गहराई में जाने के दौरान, एटीएस ने इस गैंग द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कोड वर्ड्स का पर्दाफाश किया है, जिससे उनके गुप्त अभियानों और संचार के तरीकों को समझने में मदद मिली है। मुख्य आरोपी जलालुद्दीन और उसके सहयोगियों से पूछताछ के दौरान ये अहम जानकारियां सामने आई हैं।

    एटीएस सूत्रों के अनुसार, धर्मांतरण रैकेट ‘प्रोजेक्ट’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किसी विशेष समूह या व्यक्ति के धर्मांतरण के लक्ष्य को संदर्भित करने के लिए करते थे। जब वे कहते थे कि ‘प्रोजेक्ट’ की ‘मिट्टी पलटना’ है, तो इसका मतलब होता था कि उन्हें टारगेट व्यक्ति या समूह के धर्म को पूरी तरह से बदलना है और उसे अपने धर्म में दीक्षित करना है। यह दर्शाता है कि उनका काम केवल सतही तौर पर नहीं, बल्कि व्यक्ति की मूल आस्था को बदलने पर केंद्रित था।

    जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि ‘काजल लगाओ’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल नए धर्मांतरित व्यक्ति को अपने समूह में शामिल करने और उसकी पहचान को छिपाने के लिए किया जाता था। यह संभवतः नए सदस्यों को पुराने जीवन से अलग करने और उन्हें समूह के भीतर एक नई पहचान देने की प्रक्रिया का हिस्सा था। वहीं, ‘दर्शन कराओ’ जैसे कोड वर्ड का प्रयोग शायद धर्मांतरण के बाद किसी प्रभावशाली व्यक्ति या आध्यात्मिक नेता से मुलाकात कराने या उन्हें समूह के बड़े नेताओं से जुड़वाने के लिए किया जाता था, ताकि वे धर्मांतरण के मार्ग पर बने रहें और दूसरों को भी प्रेरित कर सकें।

    यूपी एटीएस के एक अधिकारी ने बताया, “जलालुद्दीन और उसके साथियों से मिली जानकारी के आधार पर हमने इन कोड वर्ड्स का अर्थ निकाला है। ये कोड वर्ड उनके ऑपरेशन की गोपनीयता और संगठित तरीके से काम करने के तरीके को उजागर करते हैं। इस खुलासे से हमें इस धर्मांतरण सिंडिकेट के नेटवर्क और कार्यप्रणाली को पूरी तरह समझने में मदद मिलेगी।”

    एटीएस अब इन कोड वर्ड्स से जुड़े अन्य व्यक्तियों और स्थानों की पहचान कर रही है, ताकि इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके। इस खुलासे के बाद धर्मांतरण विरोधी कानूनों को और मजबूत करने की मांग भी जोर पकड़ सकती है।

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