जैश-ए-मोहम्मद के एक वरिष्ठ कमांडर के कबूलनामे से पाकिस्तान का आतंकी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। इस आतंकी कमांडर ने स्वीकार किया है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर, जो पाकिस्तान में रह रहा है, भारतीय संसद और मुंबई हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में सीधे तौर पर शामिल था।
यह कबूलनामा पाकिस्तान के उस झूठ की पोल खोलता है, जिसमें वह लगातार यह दावा करता रहा है कि उसकी धरती पर कोई आतंकवादी समूह सक्रिय नहीं है। इस कबूलनामे से यह साफ हो गया है कि मसूद अजहर पाकिस्तान से ही भारत में बड़े आतंकवादी हमलों की साजिशें रचता रहा है।
मसूद अजहर ने 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले और 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों की साजिश रची थी। ये दोनों ही हमले भारत के इतिहास के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक हैं। इस कबूलनामे के बाद पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि यह साफ हो गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी को अपनी जमीन पर पनाह दे रहा है।
यह खुलासा भारत की उन चिंताओं को भी सही साबित करता है, जिनमें वह लगातार पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है। यह कबूलनामा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण प्रमाण है, जिसका उपयोग वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ कर सकता है।