पाकिस्तान के बुरे हाल के पीछे चीन का बड़ा हाथ है। चीन के कर्ज के जाल में फंसकर पाकिस्तान बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुका है। चीन ने पाकिस्तान सरकार को चीन-पाकिस्तान इनोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में इतना कर्ज दिया है कि अब चुन की सांसें फूलने लगी हैं। ऊपर से रही-सही कसर क्षेत्रीय अलगाववादी पूरी कर रहे हैं। यही वजह है कि सीपीईसी की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। यही वजह है कि जब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ जब चीन की यात्रा पर पहुंचे तो उन्हें चीन ने बुरी तरह बेइज्जत किया। यही नहीं उन्हें बार-बार यह याद दिलाया गया कि सीपीईसी की सुरक्षा बेहद जरूरी है। खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस पर शहबाज को दोटूक चेतावनी दे दी। वहीं हाल ही में चीन के मंत्री लियु जियानचाओ ने भी चीन के नागरिकों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दिए जाने पर पाकिस्तान को फटकार लगाई। अब पाकिस्तान भी आतंकियों पर लगान कसने के लिए अभियान चलाने वाला है। इसमें पाकिस्तान के साथ ही तालिबान के आतंकी भी शामिल हैं। यानि पाकिस्तान चीन की खातिर अफगानिस्तान की जमीन को भी निशाना बनाएगा।
चरमपंथ के खिलाफ चलेगा देशव्यापी अभियान
पाकिस्तान ने मजबूरी में चरमपंथियों के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान कर दिया है। चीन की धमकी के कारण पाकिस्तान इस अभियान को अफगानिस्तान के अंदर तक चलाएगा और हमले करेगा। हालांकि तालिबान सरकार से उसके रिश्ते बदतर स्थिति में हैं। ऐसे में पाकिस्तान के सामने एक तरफ चीन का डर है तो दूसरी तरफ तालिबान सरकार का आक्रामक रवैया है। पाकिस्तान अब चरमपंथियों के खिलाफ ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम चलाने की तैयारी कर चुका है। 2014 में भी पाकिसतान ने जर्ब-ए-अज्ब चलाया था, जिसका असर देखने को मिला था। पाकिस्तान चाहता है कि आतंकी हमले में अगर कोई विदेशी नागरिक मारा जाता है तो कोई पाकिस्तान में निवेश नहीं करेगा। ऐसे में भुखमरी की तर्ज पर पहुंचे पाकिस्तान की और बुरी गत हो सकती है। अब अपनी गर्दन बचाने के लिए पाकिस्तान अफगानिस्तान को भी नहीं बख्शने वाला है।