अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे कई देश नाटो का हिस्सा हैं। नाटो वह संगठन है, जो किसी अन्य देश के आक्रमण पर एक-दूसरे का साथ देते हैं। नाटो के कारण ही रूस ने यूक्रेन से युद्ध किया था। उसे लग रहा था कि यूक्रेन नाटो में शामिल होगाा और उसके लिए खतरा बनेगा। बहरहाल अब चीन के खिलाफ भी एशियाई नाटो की स्थापना का प्रस्ताव आया है। जापान के अगले प्रधानमंत्री और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष शिगेरु इशिबा ने एशिया में भी नाटो जैसा एक सैन्य गुट बनाने की मांग उठा दी है। उन्होंने यह तक कह दिया कि इस गुट को परमाणु हथियार से लैस करना चाहिए। इशिबा ने कहा कि एशिया में नाटो जैसा सैन्य गुट चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने के लिए बेहद जरूरी है। वाशिंगटन डीसी में जापान की विदेश नीति का भविष्य शीर्षक से लिखे एक लेख में उन्होंने ये सब बात कही हैं।
पड़ोसी देश कर रहे परमाणु हथियारों का विस्तार
इशिबा का कहना है कि रूस, उत्तर कोरिया और चीन अपने परमाणु हथियारों का विस्तार कर रहे हैं। इन देशों के परमाणु खतरे को रोकने के लिए एशियाई नाटों के गठन पर विचार करना चाहिए। अमेरिका के परमाणु हथियारों को साझा करने या क्षेत्र में परमाणु हथियारों की शुरुआत पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जापान-अमेरिका गठबंधन को अमेरिकी-ब्रिटेन गठबंधन के स्तर तक ले जाना उन का मकसद है।
चीन के खिलाफ आक्रामक रहने के दिए संकेत
उन्होंने कहा कि जापान-अमेरिका सुरक्षा संधि को सामान्य देशों के बीच संधि में बदलाव के लिए स्थितियां उपयुक्त हैं। गौरतलब है कि जापान और चीन में कई मुद्दों पर विवाद है और दोनों में तनातनी दशकों पुरानी है। शिगेरू इशिबा जापान के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और ऐसे में उन्होंने साफ कर दिया कि वे चीन पर आक्रामक रहेंगे।