पाकिस्तान में गरीबी और आर्थिक संकट के कारण भीख मांगना एक गंभीर समस्या बन गई है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हर छठा व्यक्ति भीख मांगता है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा देश की खराब आर्थिक स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी को दर्शाता है। यह भीख मांगने का नेटवर्क केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों तक फैला हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के भिखारी विदेशों में भी भीख मांगते हैं, खासकर सऊदी अरब, ईरान और अन्य खाड़ी देशों में। इन देशों में धार्मिक कारणों से दान देने की परंपरा है, जिसका फायदा ये भिखारी उठाते हैं। यह एक संगठित गिरोह की तरह काम करता है, जो इन भिखारियों को विदेशों में भेजता है और उनकी कमाई का एक हिस्सा खुद रखता है।
पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के जानकार बताते हैं कि भीख मांगने का यह कारोबार सालाना 117 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए का हो सकता है। यह रकम पाकिस्तान के कुल वार्षिक बजट से भी ज़्यादा है। इस विशाल कारोबार के पीछे अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट्स का हाथ होता है, जो गरीबी और धार्मिक भावना का लाभ उठाते हैं।
पाकिस्तान की सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन गरीबी और महंगाई के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही है। ऐसे में, भीख मांगने की समस्या केवल सामाजिक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गई है। यह स्थिति पाकिस्तान की छवि को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब कर रही है।