भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका की घातक जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का अपने देश में ही उत्पादन करने की तैयारी कर रहा है। हाल ही में भारत ने जेवलिन के संयुक्त उत्पादन के लिए अमेरिका को औपचारिक रूप से ‘लेटर ऑफ रिक्वेस्ट’ भी भेजा है। इस कदम से भारतीय सेना को एक अत्यंत शक्तिशाली और आधुनिक हथियार प्रणाली मिलने की उम्मीद है।
जेवलिन मिसाइल अपनी “फायर एंड फॉरगेट” (Fire and Forget) क्षमता के लिए जानी जाती है, यानी एक बार लक्ष्य को लॉक करने के बाद इसे दागने वाला सैनिक तुरंत अपनी स्थिति बदल सकता है। यह दुश्मन के टैंकों को ऊपर से निशाना बनाती है, जहां टैंक का कवच सबसे कमजोर होता है। यही कारण है कि इसे टैंकों के लिए ‘काल’ माना जाता है। इसकी प्रभावी रेंज 2.5 किलोमीटर तक है।
यूक्रेन युद्ध में मचा चुकी है तबाही: जेवलिन मिसाइल ने यूक्रेन युद्ध में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। यूक्रेन की सेना ने इन मिसाइलों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके रूसी टैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे रूस को अपनी अग्रिम पंक्ति से टैंकों को हटाने पर मजबूर होना पड़ा। रिपोर्टों के अनुसार, जेवलिन मिसाइलें दुनिया भर में 5000 से अधिक टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर चुकी हैं। यह आंकड़ा इसकी मारक क्षमता का प्रमाण है।
भारत के लिए क्यों है खास: भारतीय सेना को लंबे समय से आधुनिक एंटी-टैंक मिसाइलों की आवश्यकता रही है। वर्तमान में भारतीय सेना के पास ज्यादातर दूसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइलें हैं। जेवलिन का भारत में उत्पादन होने से न केवल हमारी सेना की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। चीन और पाकिस्तान से सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर यह मिसाइल भारत के लिए एक बड़ी ताकत साबित हो सकती है, खासकर पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी भारतीय कंपनियों ने जेवलिन मिसाइल प्रणाली बनाने की संभावनाओं पर अमेरिकी कंपनियों के साथ साझेदारी की है। यह संयुक्त उत्पादन रक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा और अंतरराष्ट्रीय रक्षा तकनीक के लिए भारत की स्थिति मजबूत करेगा।