कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खेल अब खत्म हो गया है। भारत विरोध और खालिस्तान समर्थक होने के कारण ट्रूडो मुश्किलों में घिर गए थे। इसके अलावा देश में घटती नौकरियों और अर्थव्यवस्था के नाजुक हालात के कारण जस्टिन ट्रूडो दबाव में थे। अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उनसे देश नहीं संभल रहा है तो अमेरिका कनाडा पर अपना अधिपत्य कर लेगा। यह देश की निजता को चुनौती थी। कनाडा में चुनाव होना है और जस्टिन ट्रूडो सर्वे में लगातार पिछड़ रहे थे। यही कारण है कि पार्टी के अंदर उनका विरोध तेज हो गया था। मुश्किलों में घिर जस्टिन ट्रूडो को आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा। अब कनाडा की लिबरर पार्टी का नया नेता चुना जाएगा। ट्रूडो 2015 से लगातार प्रधानमंत्री हैं।
अपने लोगों के निशाने पर आए थे
जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थक थे और भारत से लगातार पंगा ले रहे थे। खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप उन्होंने भारत पर मढ़ा था। ट्रूडो को लग रहा था कि इससे उन्हें अपने देश में सिंपेथी मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और वे अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। ट्रंप ने भी उन्हें चेतावनी देते हुए अतिरिक्त कर लगाने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि क्यों न कनाडा को अमेरिका में शामिल कर लिया जाए। इन सबसे जस्टिन ट्रूडो तनाव में थे। वे राष्ट्रपति बनने से पहले ही ट्रंप से मिलने अमेरिका पहुंच गए, लेकिन उनका कोई दांव काम नहीं आया और उन्हें शर्मनाक तरीके से विदाई के लिए मजबूर होना पड़ा।