Success Story: यह कहानी है 63 वर्षीय अंजू की, जिन्होंने अमेरिका में 25 साल की नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया और यहाँ के किसानों के साथ मिलकर एक सफल व्यापार खड़ा किया। उन्होंने हमारी देसी जड़ी-बूटी तुलसी को एक आधुनिक उत्पाद में बदलकर अपने वेंचर ‘विंग्रीन्स फार्म्स’ (Wingreens Farms) को $50 करोड़ नहीं, बल्कि सालाना ₹250 करोड़ से अधिक की बिक्री तक पहुँचा दिया है।
विदेशी जड़ी-बूटी से शुरुआत, फिर तुलसी का सहारा
भारत लौटकर, अंजू ने किसानों के करीब से देखा कि उनके पास ज़मीन है, लेकिन कमाई शून्य है। किसानों की मदद करने के लिए उन्होंने पहले विदेशी जड़ी-बूटियां उगाकर बेचने का काम शुरू किया।
- असफलता: उनका यह पहला बिजनेस पूरी तरह से फेल हो गया, क्योंकि उन्हें कोई खरीदार नहीं मिला और उन्हें तगड़ा नुकसान हुआ।
- तुलसी की पहचान: अपनी पहली असफलता से हार न मानते हुए, अंजू ने भारत की सदियों पुरानी और औषधीय गुणों वाली तुलसी की पहचान की और उसे एक नए अवतार में पेश करने का फैसला किया।
तुलसी को पेस्टो डिप में बदलकर शुरू किया कारोबार
अंजू ने तुलसी को एक आधुनिक उत्पाद ‘पेस्टो डिप’ में बदल दिया। उन्होंने विन ग्रीन्स फार्म्स के नाम से इस उत्पाद को शहर के छोटे-छोटे दुकानों में बेचना शुरू किया।
- बाजार की समझ: अंजू को जल्द ही पता चला कि भारत में अमेरिका जैसी हेल्दी और असली डिप्स और सॉसेज़ बिकते ही नहीं हैं।
- उत्पादों का विस्तार: इस अवसर को पहचानते हुए, उन्होंने 20 से अधिक वैराइटी के डिप्स, सॉसेज़ और बेकरी चिप्स लॉन्च किए, जिनमें फ्लेवर्ड डिप्स, त्ज़ात्ज़िकी डिप, चिपोटल डिप, हम्मस और चाय शामिल हैं।
- बाजार पर कब्जा: देखते ही देखते ‘विंग्रीन्स फार्म्स’ ने बाजार पर कब्जा जमा लिया और एक समय में उनका 90% मार्केट शेयर हो गया।
कारोबार की शानदार वृद्धि
अंजू के इस देसी बिजनेस ने जबरदस्त वित्तीय सफलता हासिल की:
| वर्ष | बिक्री (लगभग) |
| पहला साल | ₹12 लाख |
| 2015 | ₹6 करोड़ |
| 2018-19 | ₹50 करोड़ |
| वर्तमान | ₹250 करोड़ से अधिक सालाना बिक्री |
आज, ‘विंग्रीन्स फार्म्स’ के पूरे भारत में करीब 900 स्टोर हैं और उनके प्रोडक्ट्स बिग बास्केट और एमेजॉन जैसी कंपनियों के जरिए ऑनलाइन भी बेचे जा रहे हैं।
सामाजिक प्रभाव
अंजू ने न केवल अपना एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया, बल्कि उन्होंने हजारों किसानों को समृद्ध बनाने में भी मदद की। चार लोगों के साथ शुरू हुए इस बिजनेस में आज सैकड़ों लोग, जिनमें 300 से अधिक महिलाएं शामिल हैं, काम कर रही हैं। अंजू की यह कहानी उन सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो विदेश की चकाचौंध छोड़कर घर लौटते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि देसी जड़ी-बूटियों को नए ढंग से पेश करके भी सफलता का स्वाद सबसे मीठा हो सकता है।


