आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। आप के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। जबकि वे न सिर्फ आप का चेहरा थे, बल्कि उनके नाम पर ही चुनाव लड़ा और जीता जाता था। लेकिन भाजपा ने आप का वह बड़ा चेहरा भी ढहा दिया। इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने का दावा करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया भी चुनाव हार गए। उन्होंने पटपडग़ंज से सीट बदलकर जंगपुरा से चुनाव लड़ा, लेकिन वहां की जनता ने उन्हें हार का मुंह दिखा दिया।
जनता की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया
इसी तरह पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन भी बुरी तरह चुनाव हार गए। ये तीनों नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके थे। सत्येंद्र जैन ने विक्टिम कार्ड खेला। इसी तरह खुद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने भी विक्टिम कार्ड खेलकर जनता की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया। लेकिन यह सब काम नहीं आया और दिल्ली की जनता ने इसका जवाब दे दिया है। इसी तरह सौरभ भारद्वाज भी चुनाव हार गए। भले ही वे जेल न गए हों, भ्रष्टाचार के कोई आप न लगे हों, लेकिन इसके बाद भी उन्हें जनता ने हार का मुंह दिखा दिया। इसी तरह पहली बार राजनीति में उतरे अवध ओझा को भी चुनाव मैदान में हार का सामना करना पड़ा।
आतिशी ने बचाई लाज, आप में बढ़ेगा कद
मुख्यमंत्री आतिशी खुद चुनाव हारते-हारते बची हैं। शुरुआत से पीछे चल रहे हैं आतिशी को आखिरी में किस्मत का साथ मिला और वे चुनाव जीत गईं। रमेश बिधूड़ी मामूली अंतर से चुनाव हार गए। एक तरह से कहा जाए तो एक बड़ा नाम आतिशी ही हैं, जिन्होंने चुनाव मैदान में जीत दर्ज की है। ऐसे में आने वाले समय में आप की राजनीति भी उनके ही इर्द-गिर्द घूमेगी। पार्टी में अरविंद केजरीवाल का दबदबा रहेगा लेकिन विधानसभा में पार्टी का चेहरा आतिशी ही हो सकती हैं। एक तरह से उनका कद पार्टी में बढ़ेगा।