केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने संबंधी विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि सरकार नैतिकता के मूल्यों को बढ़ाना चाहती है। उन्होंने कहा कि “हम ऐसे निर्लज्ज नहीं हो सकते कि हम पर आरोप लगे और हम संवैधानिक पद पर बने रहें।”
दूसरी ओर, विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह “संविधान के मूल ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक राज्य के उन संस्थानों द्वारा राजनीतिक दुरुपयोग का रास्ता खोलता है जिनके मनमाने आचरण पर सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार आपत्ति जताई है।”
लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री अमित शाह की ओर फेंकी गईं। सदन की कार्यवाही अपराह्न 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार देश को एक “पुलिस स्टेट” बनाना चाहती है। विपक्ष का कहना है कि वे इस विधेयक का विरोध करेंगे, क्योंकि यह केवल आपराधिक आरोपों के आधार पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान करता है, न कि दोषी ठहराए जाने के बाद।
इस विधेयक पर संसद में तीखी बहस होने की उम्मीद है, क्योंकि विपक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रहा है। सरकार का तर्क है कि यह राजनीति में पारदर्शिता और नैतिकता लाने के लिए एक आवश्यक कदम है।