इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच, अमेरिका ने ईरान को एक कड़ा संदेश देते हुए अपनी रणनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी वायुसेना ने मिसौरी के व्हाइटमैन एयरबेस से अपने अत्यधिक घातक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स को हिंद महासागर में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए रवाना कर दिया है। इस कदम को ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर संभावित हमले की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
B-2 स्पिरिट दुनिया के सबसे उन्नत और रडार-अदृश्य (स्टील्थ) बॉम्बर्स में से एक है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसे विशेष रूप से दुश्मन के हवाई रक्षा प्रणालियों से बचते हुए गहरे अंदरूनी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डिएगो गार्सिया, ईरान से लगभग 2300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो B-2 की लंबी दूरी की क्षमताओं को देखते हुए, इसे ईरान के किसी भी हिस्से पर हमला करने के लिए एक आदर्श लॉन्चपैड बनाता है।
यह तैनाती ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर ईरान पर हमले की योजना को मंजूरी दे दी है, हालांकि अंतिम आदेश अभी तक नहीं दिया गया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस तरह का दबाव ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने के लिए बातचीत की मेज पर ला सकता है।
ईरान का फोर्डो परमाणु संयंत्र, जो कोम शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर है, जमीन के लगभग 260 फीट नीचे, चट्टानों के भीतर बेहद सुरक्षित तरीके से बनाया गया है। माना जाता है कि इजरायल के पास इतनी गहराई में मार करने की क्षमता नहीं है। ऐसे में, अमेरिकी GBU-57 A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम, जिसे “बंकर बस्टर” के नाम से जाना जाता है, फोर्डो जैसे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 13,607 किलोग्राम का बम 200 फीट से अधिक गहराई में घुसकर भारी तबाही मचा सकता है।
इस B-2 बॉम्बर की तैनाती से क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है। ईरान ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। यह देखना बाकी है कि क्या यह अमेरिकी कदम एक चेतावनी है या ईरान के परमाणु ambitions को रोकने के लिए एक वास्तविक सैन्य कार्रवाई की तैयारी।